स्वर्ग की परिकल्पना | स्वर्ग नरक का रहस्य
How do I get to heaven?
सनातन धर्म में बताया गया है कि स्वर्ग ऊंचाई पर है। स्वर्ग के बारे में जहाँ कहीं भी परिकल्पना की गई है, वहाँ स्वर्ग को बादलों के बीच दिखाया गया है। चारों तरफ बर्फ का पहाड़। भगवान शिव के निवास स्थान को बर्फ़ के बीच में दिखाया गया है। भगवान शिव को बर्फ के ऊपर बाघ की खाल पहने हुए दिखाया गया है।
स्वर्ग में कैसे जा सकते हैं ? स्वर्ग कैसे प्राप्त होता है ?
महाभारत में वर्णन किया गया है कि पांडव भी स्वर्ग के लिए हिमालय के रास्ते ही गए थे। और जाते वक्त उनमें से सारे पांडव एक-एक करके खाई में गिरते गए और उनका स्वर्गवास हो गया। सिर्फ युधिष्ठिर और उनका कुत्ता स्वर्ग तक जिंदा गए थे।
स्वर्ग कहां है ? स्वर्ग लोक कहाँँ पर स्थित है ?
सारे धर्म ग्रंथ और हमारे पूर्वजों द्वारा सुनाए गए कहानियां और किवदंतियों के आधार पर यह साबित होता है कि स्वर्ग हिमालय में है ।
स्वर्ग किसे प्राप्त होता है ?
धर्म ग्रंथों में बताया गया है की बहुत कम ही ऋषि मुनि थे जो स्वर्ग तक जीवित गए थे और लौटे भी थे।
गंगा नदी का संबंध स्वर्ग से क्यों और कैसे ?
गंगा नदी भी स्वर्ग से निकलती है। गंगा को स्वर्ग से धरती पर लाने के लिए भागीरथ राजा को कई पुस्तो तक तपस्या करनी पड़ी थी। गंगा का उद्गम स्थल गंगोत्री बताया गया है। लेकिन इस कलयुग में ग्लोबल वार्मिंग के कारण और मानव के हस्तक्षेप के कारण ग्लेशियर पिघल गया और गंगा का उद्गम स्थल 30 किलोमीटर पीछे गोमुख में चला गया है।
गंगा का उद्गम स्थल करीब 12000 फीट की ऊंचाई पर है अगर गंगा 12000 फीट की ऊंचाई से धरती पर गिरती तो पृथ्वी का कटाव हो जाता। उस कटाव को बचाने के लिए ब्रह्मा जी ने राजा भागीरथ को शंकर जी की सहायता लेने को कहा था, भगवान शिव ही मदद करेंगे तुमको धरती तक गंगा को ले जाने में।
भगवान शंकर के बारे में सबको मालूम है कि हिमालय उनका निवास स्थान है और हिमालय के जो पेड़ पौधे हैं उनकी जटा है। गंगा नदी जब पेड़ पौधे के बीच से लोगों के बीच धीरे धीरे धरती पर उतरती है तो पेड़ पौधे जंगल और पहाड़ के बड़े-बड़े पत्थर गंगा के वेग को कम कर देते हैं अगर ऐसा नहीं होता तो जीवनदायिनी और पूज्यनीय गंगा धरती और धरतीवासियों के लिए विनाशकारी हो जाती।
पृथ्वी से स्वर्ग की दूरी
उन दिनों में हिमालय में यात्रा करना बहुत कठिन होता था क्योंकि वहां पहुंचने के लिए कोई सड़क नहीं थी। जंगलों के बीच से होकर जाना पड़ता था जहां खतरनाक जंगली जानवर रहते थे। आपको जंगलों में सिर्फ पेड़ पौधे और फल खाकर अपना जीवन बचाना पड़ता था। कुछ ऊंचाई के बाद पेड़ पौधे भी नहीं होते हैं वहां सिर्फ बर्फ ही बर्फ होते हैं और जीने के लिए ऑक्सीजन की मात्रा भी कम होती है।
तपस्या है अतिआवश्यक
यही कारण था कि जिनको स्वर्ग तक की यात्रा करनी होती थी वह सालों तक अपने शरीर को हिमालय के वातावरण के अनुरूप ढालने के लिए तपस्या करते थे।
तपस्या के दिनों में पौधे की पत्तियां और घास खाकर जिंदा रहने की कोशिश करते थे। पेड़ पौधे के बीच सोते थे। कम कपड़े या बिना कपड़े के रहने की आदत डालते थे। अपने शरीर को गर्मी सर्दी और बरसात में रहने के लायक बनाते थे।
इन सब में पास होने के बाद वह स्वर्ग यात्रा पर निकलते थे।
स्वर्ग का विनाश कैसे और किनके हाथों होगा ?
आधुनिक युग में मानव धरती के हर कोने तक सड़क के रास्ते, वायु के रास्ते और जल के रास्ते आसानी से सफर कर सकते हैं।
सनातन धर्म में इन जगहों पर जाना वर्जित था या उनके बारे में लोगों के दिल में डर पैदा किया गया था क्योंकि प्रकृति को बचाया जा सके।
मानव ने सारी चेतावनियों को दरकिनार करते हुए हिमालय के साथ छेड़छाड़ किया। जंगलों को काटे गए। पहाड़ों को काटकर रास्ते बनाए गए। लाखों लोग स्वर्ग यात्रा करने के लिए अपने अपने वाहन से हिमालय में पहुंच जाते हैं।
बर्फ की दुश्मन गर्मी होती है और हम सब ने वहां पर गर्मी पैदा करने के हर उपाय कर दिए। परिणाम स्वरूप ग्लेशियर पिधलते जा रहे हैं और गंगा का उद्गम स्थल धीरे धीरे पीछे की ओर खिसकता जा रहा है। जिसका नतीजा है की पहाड़ों पर भी बाढ़ आने लगी और भू- संखलन के कारण नुकसान हो रहा है।
प्रकृति बार-बार दे रही चेतावनी
प्रकृति बार-बार चेतावनी दे रही है और मानव समझने को तैयार नहीं।
16-17 जुलाई 2013 को अलकनंदा नदी में अचानक आई बाढ़ हजारों लोग बढ़ गए थे और जान माल की काफी नुकसान हुआ था।
अभी हाल फिलाल में भी एक त्रासदी हुई है जिसमें सैकड़ों लोग मर गया और जानमाल का नुकसान हुआ।
स्वर्ग को कैसे बचा सकते हैं?
2020 के करोना काल में जब 2 महीने के लिए लगातार लॉकडाउन हुआ था उसके बाद वातावरण में अविश्वसनीय परिवर्तन हुआ था।
हमें हिमालय पर कम निर्भर होने और ऊर्जा के लिए वैकल्पिक व्यवस्था करने की जरूरत है।
जंगलों को विनाश से बचाना होगा
जंगलों को विनाश से बचाना होगा। प्रतिबंधित जगहों पर मानव के हस्तक्षेप को कम करना होगा। गंगा आधे हिंदुस्तान के लिए जीवनधारा है। अगर गंगा समाप्त हो गई तो पूरे उत्तर भारत में पीने की पानी की किल्लत हो जाएगी और लोग मर जाएंगे।
गंगा सफाई अभियान आवश्यक
हमें गंगा साफ करने की नहीं बल्कि गंगा को गंदा करने से रोकने की जरूरत है। गंगा हर साल वर्षा ऋतु में पूरी तरह से साफ हो जाती है और सारी गंदगी समुद्र में समा जाती है।
जितने भी शहरों के कचरे हैं उसे गंगा में गिरने से रोकना है गंगा अपने आप साफ हो जाएगी।
अब तक जितने भी प्रयास हुए हैं उसने गंगा साफ करने के प्रयास हुए हैं बहुत ही कम उपाय गंगा को गंदा करने से रोकने के लिए किया गया है।
हमें अपने आने वाली पीढ़ी के लिए इस स्वर्ग जैसी हिमालय और गंगा दोनों को बचाने की जरूरत है।
पृथ्वी का जीवन भी इन पहाड़ नदियां जंगल और समुद्र पर निर्भर करता है।
अभी भी समय है हम सबको मिलजुल कर स्वर्ग को बचाने के लिए काम करना चाहिए।
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अमरनाथ कुमार
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1 Comments
बहुत ही रोचक जानकारी,
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