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जनता का मिजाजः आज लोकसभा चुनाव हुए तो किसकी जीत होगी?



लोकसभा चुनाव हुए तो कौन जीतेगा?

पिछले सात सालों से केंद्र में भाजपा की सरकार है। भाजपा 2014 में 31.34% वोट के साथ 282 सीटों पर जीत दर्ज करने में सफल रही थी। उसी प्रकार 2019 में 37.36% वोटों के साथ 303 सीट जीतने में सफल रही। 

इन दोनों आंकड़ों से पता चलता है कि विपक्षी दलों द्वारा वोटों के  बंदरबांट का भरपूर फायदा भाजपा को मिला। 

दुसरे टर्म के कार्यकाल, किसान आंदोलन, बंगाल चुनाव और कोरोना के दुसरे लहर  के इफेक्ट के बाद किए गए एक सर्वे में भाजपा पिछड़ती हुईं दिख रही है।‌

2019 के सभा चुनाव में विपक्षी दलों में बिखराव के कारण भाजपा को प्रचंड बहुमत मिला था। आंकड़ों को देखने से पता चलता है कि 63 प्रतिशत वोटों का बंटवारा हुआ था। अगर विपक्ष के वोटर किसी एक दल को वोट करते भाजपा को इतनी सीटें नहीं मिल पाती।  

टि्वटर पोल क्या कहता है?

एक सोशल मिडिया प्लेटफॉर्म के द्वारा ट्विटर पर कराए गए पोल के रिजल्ट से पता चल रहा है कि देश के वोटर का भाजपा और मोदी के प्रति मोह भंग हुआ है। 

ट्विटर पोल के सवाल "मोदी सरकार के सात साल पूरे हुए , आज के हालात पर चुनाव हुए तो क्या फिर जीतेंगे नरेंद्र मोदी ?" 

इस ट्विटर पोल में 110,604 लोगों ने वोट किया है जिसमें 81% लोगों ने मोदी जी के खिलाफ वोट किया है। ‌19% लोगों ने मोदी ने विश्वास व्यक्त किया है।  

लल्लन टॉप टि्वटर पोल

वोट प्रतिशत से पता चलता है कि अगर आज चुनाव हुए और विपक्षी वोटों का बंटवारा नहीं हुआ तो भाजपा को बहुत ज्यादा नुकसान की संभावना है। भाजपा सौ के आंकड़े को भी नहीं पार कर पायेगा। 

क्यों कम हुई लोकप्रियता?

देश के बेरोजगार युवा, किसान, मजदूर और नौकरी पेशा लोगों ने कुछ मुद्दों पर भाजपा को वोट किया था। कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर काम नहीं हुए।

वादे जो पूरे नहीं हुए (विपक्षी दलों का आरोप)

रोजगार

बीजेपी ने 2014 में हर साल 2 करोड़ रोजगार का वादा किया था यानी सात साल में 14 करोड़ रोजगार। लेकिन इसका उल्टा हुआ और लोगों की नौकरियां चली गईं। बेरोजगारी की दर पिछले 65 साल में सबसे अधिक है। आज देश की युवाओं को सुनने वाला कोई नहीं है। बेरोजगार अगर आंदोलन करते हैं तो लाठियां खानी पड़ती है, जेल जाना पड़ता है। 

किसानों की आय दोगुनी करने कि वादा

किसान को लागत पर 50 प्रतिशत मुनाफा देने का वादा किया गया था, लेकिन किसानों की माने तो तीनों काले कानून से किसानों को नुकसान होगा। किसानों को उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है। मंडीयो को खत्म किया जा रहा है। आज भी किसान सड़कों पर आंदोलन कर रहे हैं।

कालाधन

बीजेपी 2014 चुनाव से काला धन, भ्रष्टाचार और कुशासन पर बड़े-बड़े आंदोलन किए थे। 2014 के घोषणा पत्र में 100 दिन के अंदर कालाधन वापस लाने का वादा किया था और हर देशवासी के खाते में 15 लाख रुपये जमा कराने का वादा किया था। भाजपा ने नोटबंदी कर लोगों के जेब खाली कर दिए, काला धन भी नहीं आया और देश की अर्थव्यवस्था चौपट हो गई।

पेट्रेल/डीजल सस्ता (₹35/लीटर)

2014 चुनाव से यूपीए सरकार द्वारा पेट्रोल के दामों में हल्की सी भी वृद्धि करने पर सड़कों पर बैठ आंदोलन करने लगते थे। कई नेता साइकिल चलाने लगते थे, कुछ नेता गैस सिलेंडर ले गया सड़कों पर बैठे रहते थे। लेकिन जब भाजपा को सत्ता मिली तो पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी लगाकर देश की जनता को लूट लिया। देश के कई शहरों में पेट्रोल ₹100 लीटर से ऊपर और डीजल ₹90 के आसपास। उसी तरह गैस सिलेंडर काफी महंगे दामों पर बिक रहे हैं। आंदोलन करने वाले नेता चुप है।

कोरोना रोकने में भारी चूक

सबसे बड़ी चूक कोरोना महामारी के मामले में हुआ। देश और विदेश सभी का मानना है कि मोदी कोरोना रोकने में फेल हुए हैं। एक विदेशी सर्वे में 90% लोगों ने मोदी को सबसे खराब प्रधानमंत्री माना था।

देश के हर एक परिवार ने किसी न किसी रूप में अपनों को खोया है। लोगों को ऑक्सीजन और दवाई के बिना मरते हुए देखा। मरने के बाद शमशान में जगह नहीं मिली, लाशों को गंगा में बहाए जाना, गंगा किनारे रेत में दफन लाश और लाशों के ऊपर से रामनामी चादर हटाना। इन सब का प्रभाव जनता के दिमाग में हुआ है। लोगों का भरोसा मोदी सरकार से उठ गया है। 

निष्कर्ष

2021 कोरोनावायरस को काबू करने में ही निकल जाएगा। देश में विकास ठप पड़ गया है, भविष्य में लोगों को रोजगार मिलने की कोई संभावना नहीं दिख रही है, किसान आज भी आंदोलन कर रहे हैं, विपक्ष के जितने भी भ्रष्ट नेता थे वह सारे भाजपा मैं शामिल होकर उच्च पदों पर बैठे हुए हैं और पेट्रोल डीजल रसोई गैस के दाम उच्चतम स्तर पर है। 

2022 का उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव और देश मे 2024 का लोकसभा चुनाव में इन्हीं मुद्दों पर लड़ा जाएगा। 

पोल रिजल्ट को देखते हुए भाजपा के लिए चुनाव जीतना बहुत मुश्किल है। 


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