Ukraine:
यूक्रेन का क्या होगा? | रूस यूक्रेन पर हमला क्यों किया और पुतिन की मंशा क्या हैं?
रूस यूक्रेन युद्ध | Russia-Ukraine War
रूस ने यूक्रेन पर हवाई, जमीन और समुद्र के रास्ते विनाशकारी हमला किया है, जो 44 मिलियन लोगों का यूरोपीय लोकतंत्र है। इसकी सेनाएं शहर के केंद्रों, नागरिक पर बमबारी कर रही हैं और राजधानी कीव के साथ साथ खार्कीव, खेरसँन तथा Mariupol में पर रूसियों ने कब्जा कर लिया हैं, जिससे शरणार्थियों का बड़े पैमाने पर पलायन हो रहा है। राष्ट्रपति पुतिन ने कहा है की रुसी सेना ने यूक्रेन के सभी मिलिट्री ठिकानो को नष्ट कर दिया है।
महीनों तक, राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने युद्ध की आशंका से इनकार किया कि वे अपने पड़ोसी यूक्रेन पर आक्रमण करेंगे, लेकिन फिर उन्होंने एक शांति समझौते को तोड़ दिया और यूक्रेन के उत्तर, पूर्व और दक्षिण में सैन्य कार्रवाई किया जिसे जर्मनी ने "पुतिन का युद्ध" कहा।
मृतकों की संख्या और यूक्रेन के महाविनाश को देखते हुए अंतराष्ट्रीय जगत ने रूस के नेता पर यूरोप में शांति भंग करने का आरोप लगाया गया है। आगे क्या होता है महाद्वीप की संपूर्ण सुरक्षा संरचना को खतरे में डाल सकता है।
रूसी सैनिकों ने क्यों हमला किया है?
24 फरवरी को एक पूर्व-सुबह टीवी संबोधन में, राष्ट्रपति पुतिन ने घोषणा की कि रूस "सुरक्षित, विकसित और अस्तित्व" महसूस नहीं कर सकता क्योंकि उन्होंने दावा किया था कि आधुनिक यूक्रेन से लगातार खतरा था।
तुरंत, हवाई अड्डों और सैन्य मुख्यालयों पर हमला किया गया, फिर रूस, रूस से जुड़े क्रीमिया और उसके सहयोगी बेलारूस से टैंक और सैनिक काफिला यूक्रेन में प्रवेश कर गए। रुसी सेनाएं शहर के केंद्रों, नागरिक पर बमबारी कर रही हैं और राजधानी कीव के साथ साथ खार्कीव, खेरसँन तथा Mariupol में पर रूसियों ने कब्जा कर लिया हैं, जिससे शरणार्थियों का बड़े पैमाने पर पलायन हो रहा है। राष्ट्रपति पुतिन ने कहा है की रुसी सेना ने यूक्रेन के सभी मिलिट्री ठिकानो को नष्ट कर दिया है।
रुसी राष्ट्रपति पुतिन किसी भी तीसरे देश के हस्तछेप पर परमाणु हमले की धमकी देते हुए बुरे परिणाम की चेतावनी दे रहे है. रूस किसी भी देश के शांति की अपील पर बात करने को तैयार नहीं है. रुसी सेना यूक्रेन पर बिना सोचे समझे अंधाधुंद गोलाबारी कर रहे हैं. किसी भी चीज को नहीं छोड़ा है, यह तक की दुनिया के सबसे बड़े ट्रासंपोर्ट एयरक्राफ्ट AN-225 मिरिया को भी नष्ट कर दिया है। यूक्रेन के परमाणु बिजली संयंत्र के ऊपर भी गोलाबारी की और कई परमाणु संयंत्र को अपने कब्जे में ले लिया है। दस लाख से ऊपर शरणार्थी यूक्रेन छोड़ कर परोसी देशों के शरण में जा चुके हैं. यूक्रेन गंभीर संकट में हैं।
Russian State TV report from Gostomel Airport in Kyiv. Sadly An-225 completely destroyed. pic.twitter.com/9kN04Gkz91
— Aldin 🇧🇦 (@aldin_ww) March 4, 2022
रूस ने युद्ध या आक्रमण की शर्तों का उपयोग करने से इंकार कर दिया; इसके लिए इसके नेता के कई तर्क झूठे या तर्कहीन थे।
पुतिन ने दावा किया था कि उनका निशाना सिर्फ बदमाशी और नरसंहार के शिकार लोगों की रक्षा करना है और यूक्रेन के "विसैन्यीकरण और नाजियों से मुक्त करना उनका मुख्य लक्ष्य है। यूक्रेन में कोई नरसंहार नहीं हुआ है: यह एक जीवंत लोकतंत्र है, जिसका नेतृत्व यहूदी राष्ट्रपति करते हैं।
मैं नाज़ी कैसे हो सकता हूँ?" यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमीर ज़ेलेंस्की ने पुतिन को जबाब देते हुए कहा था। राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की ने तब कहा था कि मेरे दादा दूसरे विश्वयुद्ध में नाजियों से लड़ते हुए शहीद हुए थे, मै भी रुसी हूँ और रूसियों से उतना ही प्यार करता हूँ जितना आप करते हैं।
Zelensky to Putin: "Good Lord, what do you want? Leave our land. If you don't want to leave now, sit down with me at the negotiating table. But not from 30 meters away, like with Macron and Scholz. Sit down with me and talk. What are you afraid of? We're no threat to anyone." pic.twitter.com/CNsLj2yQ1N
— max seddon (@maxseddon) March 3, 2022
राष्ट्रपति पुतिन ने अक्सर यूक्रेन पर चरमपंथियों द्वारा कब्जा करने का आरोप लगाया है तथा परिणाम भुगतने की चेतावनी देते रहे, रूस यूक्रेन से उस समय से नाराज़ है जब से यूक्रेन ने रूस समर्थक राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच को उनके शासन के खिलाफ महीनों के विरोध के बाद 2014 में हटा दिया था।
रूस ने उस समय क्रीमिया के दक्षिणी क्षेत्र पर कब्जा कर लिया था और पूर्व में विद्रोह शुरू कर दिया था , रूस ने अलगाववादियों का समर्थन किया, जिन्होंने 14,000 लोगों के जीवन का दावा करने वाले युद्ध में यूक्रेनी सेना से लड़ाई लड़ी है।
2021 के अंत में, रूस ने यूक्रेन की सीमाओं के करीब बड़ी संख्या में सैनिकों को तैनात करना शुरू कर दिया, जबकि बार-बार इनकार किया कि यह हमला करने वाला था। तब श्री पुतिन ने पूर्व के लिए 2015 के शांति समझौते को रद्द कर दिया और विद्रोहियों के नियंत्रण वाले क्षेत्रों को स्वतंत्र के रूप में मान्यता दी।
रूस ने लंबे समय से यूक्रेन के यूरोपीय संघ और पश्चिम के रक्षात्मक सैन्य गठबंधन, नाटो की ओर बढ़ने का विरोध किया है। रूस के आक्रमण की घोषणा करते हुए, उन्होंने नाटो पर "एक राष्ट्र के रूप में हमारे ऐतिहासिक भविष्य" को खतरे में डालने का आरोप लगाया।
रूस कितनी दूर जाएगा?
अब यह स्पष्ट है कि रूस बड़े शहरों पर कब्जा करने और यूक्रेन की लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को उखाड़ फेंकने की कोशिश कर रहा है। राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की ने कहा कि पुतिन ने मुझे लक्ष्य नंबर एक के रूप में चिन्हित किया है, मेरा परिवार लक्ष्य नंबर दो है, पुतिन हम सबको खत्म करना चाहते है।
रूस का घोषित उद्देश्य है कि यूक्रेन को उत्पीड़न से मुक्त किया जाए और "नाजियों को साफ किया जाए"। 2014 से फासीवादियों द्वारा चलाए जा रहे यूक्रेन के इस झूठे आख्यान के तहत, श्री पुतिन ने "नागरिकों के खिलाफ कई खूनी अपराध करने वालों" को अदालत में लाने की बात कही है।
यूक्रेन के लिए उनकी दीर्घकालिक महत्वाकांक्षा अज्ञात है। उन्होंने यूक्रेन पर कब्जा करने की मांग से इनकार किया और जनवरी में ब्रिटेन के एक आरोप को खारिज कर दिया कि वह क्रेमलिन समर्थक कठपुतली स्थापित करने की साजिश रच रहा था। एक अपुष्ट खुफिया रिपोर्ट में कहा गया है कि उनका लक्ष्य देश को दो हिस्सों में बांटना है।
उसे एक गहरी शत्रुतापूर्ण आबादी से कड़े प्रतिरोध का सामना करना पड़ता है, लेकिन उसने दिखाया है कि वह अपने लक्ष्यों को पूरा करने के लिए नागरिक क्षेत्रों पर बमबारी करने के लिए तैयार है।
रूस के बाल्टिक पड़ोसियों के लिए तत्काल कोई खतरा नहीं है, लेकिन नाटो ने केवल मामले में अपने बचाव को मजबूत किया है।
आक्रमण से पहले, रूस का सार्वजनिक ध्यान हमेशा पूर्व में रूसी समर्थित विद्रोहियों के कब्जे वाले क्षेत्रों पर था। लेकिन यह तब बदल गया जब राष्ट्रपति पुतिन ने उनकी स्वतंत्रता को मान्यता दी।
उन्होंने न केवल स्पष्ट किया कि उन्होंने उन्हें अब यूक्रेन का हिस्सा नहीं देखा, उन्होंने खुलासा किया कि उन्होंने अधिक यूक्रेनी क्षेत्र के लिए उनके दावों का समर्थन किया। स्वयंभू लोगों के गणराज्य लुहान्स्क के डोनेट्स्क के एक तिहाई से अधिक क्षेत्रों को कवर करते हैं और विद्रोही बाकी को भी चाहते हैं।
यूक्रेन/विश्व ने रुसी खतरे को हलके में लिया
अब तक के घटनाक्रम से यह प्रतीत होता है की यूक्रेन के साथ साथ उसके मित्र देश रुसी खतरे को गंभीरता से नहीं लिया। वे सभी सोंच रहे थे कि रूस की धमकी सिर्फ एक गीदर भभकी है और अंत में हमला नहीं करेगा। यूक्रेन के राष्ट्रपती व्लादिमीर जेलेंस्की भी यही सोच रहे थे की अमेरिका और उसके सहयोगियों के सामने पुतिन हमला नहीं करेंगे। पूरा विश्व इस धमकी की हलके में ले रहा था और किसी ने भी इसे गंभीरता से नहीं लिया। कुछ पश्चिमी देशों ने तनाव को देखते हुए यूक्रेन से अपने नागरिकों को निकलने में सफल रहे थे लेकिन भारत सरकार इस गंभीर खतरे को समझ नहीं पाए और नागरिक यूक्रेन में ही फंसे रह गएं। भारत सरकार अपने नागरिकों को निकालने के लिए संगर्ष कर रही है
युद्ध किस दिशा में जायेगा
युद्ध किस दिशा में जायेगा किसी को कुछ मालूम है, पुतिन का क्या इरादा है किसी को मालुम नहीं। सभी पश्चिमी देशो ने यूक्रेन को लिटमस पेपर की तरह टेस्ट के लिए इस्तेमाल कर रहें और यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेन्स्की के साथ साथ उनके देश के भविष्य को रूस के डे पर छोड़ दिया है।
इतना है की अगर यूक्रेन के बाद अगर पुतिन पश्चिम की तरफ किसी और देश पर नजर डालेंगे परमाणु युद्ध निश्चित है और फिर महाविनाश होगा. फिलहाल सभी देश पुतिन और यूक्रेन पर कड़ी नजर बनाये हुए है।
जेलेंस्की ने सुनाई NATO को खरी खोटी
— Umashankar Singh उमाशंकर सिंह (@umashankarsingh) March 5, 2022
“NATO सम्मेलन कमजोर व कन्फ्यूज्ड है। यूक्रेन में नो-फ्लाई जोन न लागू करके NATO रूस को खुली छूट दे रहा है कि वह यूक्रेनी शहरों और गावों पर बम बरसाए। जिनके पास हमसे कई गुना ज्यादा शक्तिशाली हथियार हैं, फिर भी अंदर से कमजोर और असुरक्षित हैं” pic.twitter.com/ZwpK6cYOiq
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