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हुरहुर Cleome Viscosa | Medicinal Plant Jakhya के चमत्कारिक गुण

 

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Cleome Viscosa Plant

Cleome Viscosa | Jakhya (हुरहुर)

प्रकृती  ने इंसानो और जीवों को बनाने से पहले उनके जरुरत के हर चीजों का ध्यान रखा और पहले उनका निर्माण किया। जीवो के इस्तेमाल में आने वाले औषधीय पौधे, विटामिन और मिनरल से भरपूर खाद्य पदार्थ का निर्माण किया।  आज हमारे पृथ्वी पर हर तरह के औषधीय पौधे और जारी बूटी मौजूद है,  जिनका इस्तेमाल हजारो सालो से हो रहा है। उन्ही औषधिये पौधों में से एक हुरहुर भी है जिसमे अनेको चमत्कारिक गुण मौजूद है। हुरहुर का इस्तेमाल एंटीबायोटिक्स बनाने में किया जाता है. हुरहुर के पौधे में टेट्रासाइक्लीन जैसे एंटीबायोटिक्स होते है जो हर तरह के घाव  और अलसर को ठीक कर  सकता है. दवाई बनाने में इस पौधे का इस्तेमाल भी किया जाता है.

आएं आज हम हुरहुर के चमत्कारिक गुणो और उपयोग के बारे में जानते है.

वानस्पतिक नाम  (Botanical name of hurhur)

Cleome viscosa Linn (क्लियोम विस्कोसा) Syn-Cleome icosandra Linn

Polanisia icosandra (Linn)

परिवार: क्लियोमेसी (क्लियोमेसी)

अंग्रेजी नाम: Dog Mustard

संस्कृत नाम:

पिटपुष्पा, तिलपर्णी, पुतिगंधा, उग्रगंधा, ब्रह्मसुवर्चला।  हिंदी नाम:

हुरहुर पीला,

उड़िया नाम - जंगली जीरा

उर्दू-हुल्हुल

असमिया-भूतमाला

कन्नड़-नबल्ली नईबेला गुजराती-तलवानी तिलवान

पंजाबी-बुगरा, हुलहुल, मराठी-पीवली, तिलवन, कानफोडि

मलयालम-अरियाविला

अंग्रेजी-जंगली सरसों, टिकवीड, क्लैमी वीड

अरबी-बंटकलां

यह वनस्पति पूरे भारत में खाली भूमि में खरपतवार के रूप में पाई जाती है।  फूलों के रंग के आधार पर दो प्रजातियां होती हैं, हुरहुर श्वेत और हुरहुर पीट (सफेद फूल वाले और पीले फूल वाले)

हूरहूर व्हाइट श्वेत (सफेद फूल) हुरहुर का नाम (Cleome gynandra Linn)

यह 30-90 सेमी ऊँचा, शाखित, ग्रंथि-जुगालीदार शाकीय पौधा है।  इसकी सूंड और शाखाएं पंक्तिबद्ध, सफेद रंग के फैले हुए बालों से ढकी होती हैं।  इसके फूल सफेद रंग के होते हैं।  इसकी फली 5-10 सेमी लंबी, 4.5 मिमी व्यास, चिपचिपी और प्यूब्सेंट होती है।  इसके बीज गहरे भूरे से काले रंग के और खुरदुरे, गुर्दे के आकार के होते हैं।

आयुर्वेदिक गुण और प्रभाव

पीला हुरहूर 

पीला हुरहूर कड़वा, तीखा, कसैला, गर्म, सूखा, छोटा, कफयुक्त, ग्रहणशील, स्वादिष्ट, मादक, तीखा, बिदाई और लपेटा हुआ होता है।

यह सांस फूलना, सूजन, एनोरेक्सिया, बुखार, विस्फोट, कुष्ठ रोग, सूजाक, योनिजन, मूत्र असंयम, शोफ, कीड़े, पेट का दर्द, रक्त पित्त, कृमि रोग और पांडुनासक के लिए जिम्मेदार है।

इसके बीज गर्म वीर्य, ​​जठरशोथ, गुल्म, अनाह, अमदोष, शूल, कफ और गठिया हैं।

सफेद हुरहुर 

सफेद हुरहुर मीठा, कड़वा, तीखा, कसैला, ठंडा, खुरदरा, गुरु, कफ, ग्राही, पित्त, सिर, मूत्र, आग्नेय, ध्वनि और रसायन है।  यह अल्सर, सर्दी-बुखार, भूत-प्रेत बाधा, ग्रह दर्द, सूजाक, कृमि, कुष्ठ, चर्म रोग, दृष्टि, रक्तस्राव, ज्वर, श्वास, खांसी, योनि दर्द, मूत्र, पांडु, गठिया और विस्फोट के लिए शामक है। इसकी पत्तियों और पत्तियों से प्राप्त मेथनॉल अर्क एक परखनली परीक्षण में कृमिनाशक गुणों को दर्शाता है।

औषधीय उपयोग मात्रा और विधि

पीला हुरहूर के मुख्य इस्तेमाल

  • शिरशुल - हुर्हुर के पत्र को पीसकर सिर पर लगाने से सिर का दर्द ठीक हो जाता है।
  • कान का दर्द-हुरहुर पत्ता का रस में शहद, तिल का तेल और सेंधव नमक मिलाकर 1-2 बूंद कान में डालने से कान का दर्द, ओटिटिस मीडिया और मध्य कान के विकारों में लाभ होता है।
  • श्रवण-विकार- हुर्हुर-पत्र-वरू को तुलसी के पत्तों में मिलाकर 1-2 बूंद कान में डालने से कान के विकारों में लाभ होता है।
  • अतिसार - हुरहुर रस  की 15-20 मिलीलीटर की मात्रा में सेवन करने से आंतों के विकार और अतिसार में लाभ होता है।
  • क्वथ बनाकर 15-30 मिलीलीटर पौधे का सेवन करने से पेट के दर्द, अपच, अग्निमांड्य और गुल्म में लाभ होता है।
  • एक कप बीज बनाकर 10-30 मिलीलीटर की मात्रा में पीने से यकृत विकारों में लाभ होता है।
  • संधिशूल- हुरहुर के बीजों को पीसकर जोड़ों पर लगाने से गठिया रोग ठीक हो जाता है।
  • हुरहुर के पत्तों को पीसकर छालों और घावों पर लगाने से ठीक हो जाता है.
  • त्वचा की त्वचा पर लेप लगाने से सूजन, अल्सर, थ्रश, कुष्ठ और अन्य चर्म रोग बुझ जाते हैं।
  • बुखार - 5 मि.मी. हुरहुर पत्ता का रस   में पानी मिलाकर मात्रा के अनुसार सेवन करने से बुखार में लाभ होता है।

हुरहुर श्वेता के मुख्य इस्तेमाल

  • शिरशुल- सफेद हुरहुर बीज को पीसकर सिर पर लगाने से हिर्सुलिटिस ठीक हो जाता है।
  • अर्धाभेक - सफेद हुर्हुर पत्र स्वर की नस्य लेने से अर्धभेक में लाभ होता है।
  • आंखों का दर्द- सफेद हल्क अक्षरों से बना पुल्टिस बनाकर आंखों पर बांधने से आंखों का दर्द, सूजन और लाली दूर होती है।
  • प्रत्याशय-सफेद हुरहुर पत्र  का रस की 1-2 बूंद नाक में डालने से प्रतिश्याय में लाभ होता है।
  • सोंठ-सफ़ेद हुरहुर की जड़-मीठी आवाज़ में सोंठ, मारीच और पिप्पली मिलाकर छानकर 1-2 बूंद कान में डालने से कान का कृमि रोग ठीक हो जाता है।
  • घेंघा-सफ़ेद हुरहुरूर और लहसुन को बराबर मात्रा में लेकर पीसकर गलगण्ड पर लगाने से गलगण्ड स्त्रावित होकर ठीक हो जाता है।
  • दंतशूल - सफेद हुलहुल के पत्तों को पीसकर दांतों में मलने से दांत का दर्द दूर होता है।
  • सफेद रुबर्ब का चौथाई भाग बनाकर 15-20 मिलीलीटर की मात्रा में सेवन करने से प्रवाह में आराम मिलता है।
  • पेट के कीड़े : सफेद हुरहुर के 1-4 ग्राम बीज का चूर्ण में चीनी मिलाकर पीने से पेट के कीड़े मर  हो जाते हैं।
  • सफेद हुरहुर बीज के तेल की 1-2 बूंद बटेसे में मिलाकर खाने से पेट का दर्द बुझ जाता है।
  • बबासीर-1-2 ग्राम सफेद हुरहुर बीज का चूर्ण मिश्री में मिलाकर सेवन करने से बबासीर की बीमारी में लाभ होता है।
  • पॉल्यूरिया : सफेद हुरहुर के बीज को 1-2 ग्राम की मात्रा में गुड़ और अजवायन में मिलाकर सेवन करने से बहुमूत्रता में लाभ होता है।
  • गठिया रोग  - सफेद हुरहुर के पतों का रस बनाकर 15-20 मिलीलीटर की मात्रा में लेने से वात रोग / गठिया के रोग ठीक हो जाते हैं।
  • हर्पीज-सफ़ेद हुरहुर रस  लगाने से दर्द शमन होता है।
  • सफेद हुरहुर के पत्तों को 5-10 मिलीलीटर की मात्रा में लेने से बुखार कम हो जाता है।
  • सफेद हुरहुर के पत्ते की रस  10-20 मिलीलीटर की मात्रा में देने से तेज बुखार बुझ जाता है।
  • मकोय के रस को सफेद हुरहुर रस  में मिलाकर हाथों और पैरों पर मालिश करने से शीत ज्वर बुझ जाता है।

Jakhya Price:

  • Jaklhya Seed price on amazon is rupees 299 for 500 gm.

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