Ticker

6/recent/ticker-posts

कृषि बिल वापसी बनी भाजपा के गले की फांस | Farm Law Repealed

Farmers protest india

कृषि कानून वापसी का ऐलान | Farm Law Repealed

19 नवंबर 2021 की सुबह 9 बजे टीवी पर अचानक आकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीनों कृषि बिल वापसी की घोषणा की थी। बिल वापसी की घोषणा से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने कल्पना भी नहीं की होगी कि बिल वापसी का दांव उल्टा पड़ सकता है।

उन्होंने सोचा होगा कि बिल वापसी के ऐलान के बाद सबकुछ पहले जैसा हो जाएगा और किसान बॉर्डर खाली कर खुशी-खुशी अपने घर लौट जाएंगे। इसका किसान खुश होकर भाजपा की गलतियों को माफ कर देंगे और जयकारा लगाने लगेंगे।

मगर सब कुछ कल्पना के उल्टा हुआ, भारतीय जनता पार्टी के लोगों ने सोचा भी न होगा कि किसानों को प्रधानमंत्री मोदी पर से भरोसा उठ गया है। प्रधानमंत्री के बातों में वो जादू नहीं रहा जिसे मान कर लो नाचने लगते थे।

मोदी का प्रभाव खत्म

किसानों ने मोदी जी के पुराने वादों का हवाला देते हुए याद दिलाया कि दो करोड़ की नौकरी, पन्द्रह लाख, काला धन, नोटबंदी के पचास दिन आदि जुमलो का क्या हुआ।‌

2020 में पारित तीनों कृषि बिल वापसी के ऐलान के बाद भी किसानों का आंदोलन में डटे रहे और मांग करने लगे की लोकसभा से कानून वापसी हो, एम एस पी की गारंटी मिले, किसानों के ऊपर दर्ज केस खत्म करने के साथ-साथ शहीद किसानों को उचित मुआवजा मिले।‌

देश के जनता भी किसानों से सवाल नहीं कर सकती कि अब तो तीनों कृषि बिल वापसी का ऐलान हो गया, अब किसान बार्डर खालु क्यों नहीं कर रहे।

उनको मालूम है क्या जवाब मिलेगा? किसानों को प्रधानमंत्री की ज़ुबान पर भरोसा नहीं है, जब तक संसद में बिल वापस नहीं हो जाता तब तक हम डटे रहेंगे। कुल मिलाकर किसानों को यह डर है कि प्रधानमंत्री बिल वापसी का ऐलान कर धोखे से हमें घर भेज सकता है, तथा आंदोलन खत्म होने के बाद बिल वापस भी नहीं लेगा।

प्रधानमंत्री की विश्वसनीयता पर इससे बड़ा सवाल कोई हो ही नहीं सकता कि उनके खुद से ऐलान के बाद भी किसान कह रहे हैं कि नहीं पहले संसद में वापस लो, तुम्हारा क्या भरोसा, तुम्हारे पहले के वादे कौनसे पूरे हुए?

भाजपा और संघ के लिए चिंता का विषय

भाजपा और संघ के लिए यह सबसे बड़ा चिंता विषय बन गया है कि उनके सबसे बड़े पोस्टर बॉय मोदी की इमेज पूरी तरह ध्वस्त हो गई है। जनता मोदी को फरेबी और झूठा समझने लगी है। मोदी की किसी भी बात पर अब जनता को विश्वास नहीं है।

कानून वापसी का उल्टा पड़ गया

पांच राज्यों में होने वाले चुनाव में हार के खतरे को कम करने के लिए जो दवा चला गया था वह उल्टा पड़ गया।‌

भाजपा के कट्टर वोटर और हिंदू महासभा में भी नाराज हो प्रधानमंत्री मोदी को गालियां निकालने लगे। भाजपा ने कभी ऐसी कल्पना भी नहीं की थी कि यह दिन देखना पड़ेगा। हिंदू महासभा के लोगों ने अपने ऑफिस से मोदी की तस्वीर निकाल कर सावरकर की तस्वीर लगा दी और मोदी पर विश्वास जताते हुए गालियां दी। देश के मोदी मोदी आ गई मोदी से नाराज होकर अनाप-शनाप बयान देने लगे और मोदी जी को कोसते हुए डरपोक तक की संज्ञा दे रहे।

Sakshi maharaj

Kalraj mishra


कट्टर वोटर के खिसकने के डर से भाजपा नेताओं बिल को दुबारा लाने की बात करने लगे, इस फिजुल बयान के कारण वे किसान नाराज हो गए। भाजपा के वोटर भी समझ रहे हैं की ऐक बार बिल वापसी के बाद दोबारा कभी नहीं आएगा। नतीजा भाजपा ने अपने दोनों तरफ के वोटर को खो दिया।

किसानों की मजबूरी

आंदोलनरत किसानों को पता है कि इतना बड़ा और एतिहासिक आंदोलन बार बार खड़ा नहीं किया जा सकता है। सरकार एक बार झुकी है तो सारी मांगे मनवाना ही समझदारी है। चुनाव के इस समय में सरकार को जितना दबाया जा सकता है, उतना फिर कभी नहीं।

निष्कर्ष

मोदी के पिछले तमाम फैसलों की तरह यह बिल वापसी का फैसला भी बहुत बड़ा ब्लंडर साबित हुआ, इससे फायदा कुछ भी नहीं लेकिन नुकसान बहुत ज्यादा होने की संभावना है। आब ना किसान खुश, ना कट्टर कैडर। आंदोलन किसान झूठा कह रहा है और कैडर कायर। प्रधानमंत्री मोदी की छवि धूमिल हुई सो अलग। फर्क यह है कि मोदी के अब तक गलत निर्णयों से देश को नुकसान होता रहा है। परन्तु इस बार सीधे भाजपा और खुद मोदी को नुकसान हो रहा है।

प्रस्तुतकर्ता:

सुरेन्द्र कुमार

यह भी पढ़ें







वीडियो देखें








Post a Comment

0 Comments