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उत्तर प्रदेश चुनाव 2022 UP Election | कौन बनेगा मुख्यमंत्री?

उत्तर प्रदेश चुनाव 2022 UP Election | कौन बनेगा मुख्यमंत्री?

उत्तर प्रदेश चुनाव 2022 का माहौल

2017 में निर्वाचित यूपी विधानसभा का कार्यकाल 14 मई 2022 को खत्म होगा। विधानसभा का कार्यकाल खत्म होने से पहले ही चुनाव प्रक्रिया को पूरी की जाएगी। ‌ इसके लिए सभी पार्टियां अपनी-अपनी तैयारियों में जुटे हुए हैं। ‌

सारे बड़े और छोटे राजनीतिक पार्टियां अपना दमखम दिखाने के लिए बड़ी बड़ी रैलियां करना शुरू कर दिया है।

सभी पार्टियां जनता को अपनी तरफ आकर्षित कर विधानसभा चुनाव जीतने लिए बड़े बड़े वादें और दावा कर रहे है। साथ ही हर पार्टी एक दूसरे पर आरोपी की झड़ी लगा रहे हैं और उनके गलतियों को उजागर कर रहें हैं।

समाजवादी पार्टी का माहौल

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पिछले मंगलवार को कहा था कि सीबीआई, आयकर विभाग और प्रवर्तन निदेशालय को भाजपा ने अपने तरफ से बैटिंग करने के लिए चुनाव में उतार दिया है। अखिलेश यादव ने दावा किया है कि सपा को मिल रहे जनसमर्थन से घबराकर समाजवादी पार्टी से मुकाबला करने के लिए भाजपा ने अपने छह रथ उत्तर प्रदेश के चुनावी मैदान में उतार दिए हैं, लेकिन वे कुछ भी कर ले समाजवादी रथ के आगे भाजपा का रथ टिक नहीं पाएंगे।

सपा के रैली में अपार जनसमूह भाग ले रहे हैं, सभी सपा के लिए समर्थन का वादा करते हैं। लगभग हर वर्ग के युवा, गरीब, किसान‌ मजदूर और बेरोजगार एकजुट होकर रैलियों में भाग ले रहे हैं।‌

समाजवादी पार्टी हर छोटे-छोटे पार्टियों को अपनी गठबंधन में शामिल कर वोट प्रतिशत को बढ़ाने की कोशिश कर रही है। इसमें उत्तर प्रदेश के छोटी-छोटी पार्टियों का समर्थन भी मिल रहा है।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जयंत चौधरी की पार्टी आरएलडी को अपने गठबंधन में शामिल कर सपा ने किसानों के वोट को भी अपने वोट प्रतिशत में जोड़ लिया है।

किसानों के रुख से भी पता चलता है कि वह भाजपा के खिलाफ वोट करेंगे।

उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का माहौल

"लड़की हूं और लड़ सकती हूं" के नारों के साथ प्रियंका गांधी ने उत्तर प्रदेश में चुनाव की बिगुल फूंक दिया है। इसके साथ ही प्रियंका गांधी ने 40% महिलाओं को टिकट देने का वादा किया है। इस तरह उन्होंने महिलाओं का ध्यान अपने पार्टी की तरफ खींचने की कोशिश की है।

प्रियंका के हर रैली में भारी भीड़ और महिलाओं की भागीदारी देखकर लगता है कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का जनाधार लौट रहा है।

हाल में अमेठी में हुए पदयात्रा में जुटी भीड़ को देख कर ऐसा लगता है की जनता कांग्रेस में लौट रही है।

हिन्दू और हिंदुत्ववादी में अंतर को समझाते हुए राहुल गांधी ने सभी वर्गों के लोगों को अपनी तरफ खींचने का प्रयत्न किया है।

बहुजन समाज पार्टी का माहौल

सभी पार्टियां रैलियों में लगे हुए हैं लेकिन बहुजन समाज पार्टी शांत होकर तमाशा देख रही है, कभी कभी मीडिया में आकर वक्तव्य देना और ट्विटर पर ट्वीट करना यही रह गया है। मायावती ब्राह्मणों का वोट हासिल करने के लिए प्रयत्न कर रही है और फिर से अपने पुराने फार्मूले को आजमाना चाहती है। अभी बहुजन समाजवादी पार्टी के बारे में विश्लेषण करना संभव नहीं है।

उत्तर प्रदेश में भाजपा का माहौल

उत्तर प्रदेश में फिलहाल भाजपा के खिलाफ माहौल है। इस विपरित माहौल में भी 30% कट्टर वोटर जिसमें ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य शामिल है वह भाजपा के साथ हैं।

किसी भी परिस्थिति में आने वाले चुनाव में ये तीन वर्गों के लोग भाजपा के साथ बने रहेंगे।

प्रदेश में बेरोजगारी, महंगाई, विकास, किसान आंदोलन और सरकारी नौकरियों को खत्म करना ये सब मुद्दे भाजपा के लिए सिरदर्द बनेगा।

कौन बनेगा उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री?

अब तक के रुझानों और पिछले मतदान के आधार पर उतर प्रदेश में क्या होनेवाला है,आइए जानते हैं समीकरण क्या कहता है?

2017 के नतीजे क्या कहते हैं?

UP Election result 2017

2017 में मोदी लहर में 39.7% वोटों के साथ भाजपा ने 325 सीटों पर जीत हासिल की थी। सपा 21.8% वोटों के साथ 47 सीटों पर जीत हासिल कर सकी थी। बहुजन समाज पार्टी को 22.2% वोट मिला था जिसमें वह मात्र 19 सीट जीत सकी थी। इसी प्रकार कांग्रेस 6.25% के साथ केवल 7 सीटों पर ही जीत हासिल कर सकी थी।‌

अनुप्रिया पटेल को 9 सीट और आरएलडी को 1 सीट पर विजय प्राप्त हुआ था।

आज देश में बदला हुआ माहौल है और बंगाल के नतीजों से विपक्षियों को जीत का समीकरण मिल गया है।‌ बंगाल में मुस्लिम वोटर का विभाजन नहीं हुआ था और उसी तरह से विपक्षी पार्टियों के वोटर भी एकजुट होकर भाजपा के खिलाफ वोट किया था।

उत्तर प्रदेश की जनता हर हाल में भाजपा से छुटकारा चाहती है और इसके लिए वे सभी एकजुट होकर बंगाल के समीकरण पर काम करना चाहती है। जनता भाजपा को हराने के लिए अपने पार्टी का साथ छोड़ने के लिए भी तैयार है। किसान आंदोलन में लोगों के विचार जानने के बाद यह पता चला कि उत्तर प्रदेश में जातीय समीकरण काम करेगा। एक तरफ भाजपा के चाहने वाले लोग और दूसरे तरफ सिर्फ एक मजबूत विपक्षी पार्टी।

लोगों का मानना है कि भाजपा 3 जातियों की पार्टी बनकर रह गई है। ‌इसलिए बाकी के सभी जातियां एकजुट होकर भाजपा के खिलाफ वोट करेंगे।

भाजपा भी अपने पुराने "फूट डालो और राज करो की नीति" पर काम कर रही है। अलग अलग जातियों को लोगों को भी तोड़कर अपने पार्टी में शामिल करने की कोशिश हो रही है।

पिछले चुनाव में केशव प्रसाद मौर्य के नाम पर चुनाव जीतने वाली भाजपा मौर्य साइड लइन कर योगी को मुख्यमंत्री बनाया था। इसका खमियाजा भी भाजपा को भुगतना पड़ रहा है। बैकवर्ड वोटर भाजपा के झांसे में नहीं फंसना चाहते हैं।

किस पार्टी की जीत होगी

भाजपा के पास पहले ही से 30% वोट है और जीत के लिए उसे मात्र 10% और वोटों की जरूरत है। भाजपा अपने इसी फार्मूले पर काम करते हुए दूसरे दलों में और जातियों में सेंध लगाने की कोशिश कर रही है। भाजपा दूसरे पार्टियों को एकजुट नहीं होने देने के लिए हर कदम उठाएगी। अगर भाजपा ऐसा करने में कामयाब होती है तो उसे जीतने से कोई नहीं रोक सकता।

विपक्षी एकजुटता

अगर विपक्ष 70% जनता को एकजुट करने में कामयाब हो जाती है तो भाजपा के लिए उत्तर प्रदेश जीतना नामुमकिन हो जाएगा।

सपा अभी तक मजबूत विपक्षी पार्टी के रूप में दिख रही है। उत्तर प्रदेश के अल्पसंख्यक समाज किसी एक मजबूत पार्टी को वोट करने वाली है। अल्पसंख्यक समाज कोई चांस लेना नहीं चाहते वह हर हाल में भाजपा से छुटकारा चाहते हैं।

अब देखने वाली बात है कि विपक्ष एकजुट होकर लडती है या अपने वोटों का बंदरबांट करके भाजपा को जीतने में मदद करती है।

जैसे जैसे चुनाव नजदीक आता जा रहा है समीकरण बदलने की संभावना है।

फिलहाल 30% वोटों के साथ भाजपा आगे है।

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