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यूपी में एसडीएम की दादागिरी, रैली के लिए प्रशासन का दुरुपयोग

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प्रधानमंत्री के रैलियों में सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग

चुनाव का दिन नजदीक आते ही उत्तर प्रदेश में सभी पार्टियों ने जोर शोर से रैली करना शुरू कर दिया है। प्रधानमंत्री मोदी के सरकारी कार्यक्रमों में भी रैली के शक्ल में भारी भीड़ इकट्ठा किया जा रहा है। 

सभी विपक्षी पार्टियां भी छोटे-मोटे रैली कर अपना दमखम दिखाने में लगे हुए हैं।

विपक्षी पार्टियों का आरोप

उत्तर प्रदेश के विपक्षी पार्टियां ने उत्तर प्रदेश प्रशासन द्वारा रैलियों में भीड़ जुटाने के लिए सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग का आरोप लगाया है।

समाजवादी पार्टी (सपा) ने भाजपा सरकार पर उत्तर प्रदेश में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की रैलियों में भीड़ जुटाने के लिए सरकारी मशीनरी और धन के दुरुपयोग का आरोप लगाया है। सपा ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त को पत्र लिखकर  प्रशासन के दुरुपयोग की शिकायत की है।

समाजवादी पार्टी के यूपी के अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त को भेजे गए पत्र में आरोप लगाया है कि प्रयागराज में संपन्न  प्रधानमंत्री की जनसभा में जबरन भीड़ जुटाने के लिए राज्य सड़क परिवहन निगम की सैकड़ों बसों और सरकारी वाहनों का दुरुपयोग किया गया है।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी कई ऐसी तस्वीरें/वीडियो शेयर की गई है जिसमें सरकारी बसों और वाहनों का उपयोग रैलियों भीड जुटाने के लिए किया गया है।

एसडीएम की दादागिरी <

एसडीएम की वायरल रिकार्डिंग 

"कल के बाद मेरा प्रकोप देखना"। रिकॉर्डिंग में एसडीएम साहब ग्राम प्रधान को जबरदस्ती भीड़ जुटाने के लिए कह रहे हैं। 

एसडीएम को यह कहते सुना जा सकता है "तुम्हारे यहां से लोग जाए या ना जाए लेकिन एक बात समझ लो 6 महीना में यही रहने वाला हूं, इस 6 महीने में तुम्हें मुझसे पचासों काम पड़ेगे -सुन लिजिए, कल के बाद मेरा प्रकोपे देखिएगा-आधे घंटे में लोग इकट्ठा नहीं हुए ना तो अपना भी समझ लेना और गांव का भी समझ लेना"

बड़े शर्म की बात है कि एक एसडीएम ग्राम प्रधान को खुलेआम धमकी दे रहा है। सोशल मीडिया पर यह वीडियो खूब वायरल हो रहा है जिसे यूपी खबर ने  दिखाया है।‌ 

लोगो ने इस रिकॉर्डिंग पर चुटकी लेना भी शुरू कर दिया है, लोगो का कहना है की "भाजपा के इतने बुरे दिन आ गए की मोदी जी के नाम पर भी लोग रैली में जाना नहीं चाहते"।  कुछ लोगो ने इसे मोदी जी  घटती लोकप्रियता से जोर कर भी देख रहे है।  

इस वायरल रिकॉर्डिंग के आने के बाद विपक्षियों को बल मिल गया कि वह जो दुरुपयोग का आरोप लगा रहे थे वह सही है।

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