चीन ने अरुणांचल के 15 भारतीय ठीकानो के नाम बदलकर आपना बनाया, सुब्रह्मण्यम स्वामी का मोदी पर कटाक्ष
चीनी अखबार ग्लोबल टाइम्स के अनुसार नागरिक मामलों के मंत्रालय ने बुधवार को घोषणा की है कि चीन ने अरुणाचल प्रदेश के जंगनान एरिया में 15 स्थानों के नाम बदलकर चीनी नाम दिया है।
सुब्रह्मण्यम स्वामी की प्रतीकिर्या
भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने भी ट्विटर के माध्यम से भारत सरकार पर कटाक्ष किया है। उन्होंने अरुणाचल का कोऑर्डिनेट शेयर करते हुए लिखा है, पेश है उसका हिंदी रूपांतर:
92-97 E and 27-29 N
— Subramanian Swamy (@Swamy39) December 31, 2021
Pretty much covers all of Arunachal. Koi aaya hi nahin?
92-97 E and 27-29 N
"काफी हद तक पूरे अरुणाचल को कवर करता है। कोई आया ही नहीं?"
इससे पहले के ट्वीट में भी प्रधानमंत्री मोदी पर कटाक्ष करते हुए अंग्रेजी में ट्वीट किया था, पेश है उसका हिंदी रूपांतर:
If "koi nahin aaya" which shows a deplorable ignorance, Modi according Russian announcement is expected to meet Xi soon brokered by junior partner Putin. If further our Ministers under US pressure drag their feet on loan to Sri Lanka of $ 10 billion it means we are sold out.
— Subramanian Swamy (@Swamy39) December 31, 2021
"यदि "कोई नहीं आया" जो एक निराशाजनक अज्ञानता को दर्शाता है, मोदी के अनुसार रूसी घोषणा के जल्द ही जूनियर साथी पुतिन द्वारा दलाली किए गए शी से मिलने की उम्मीद है। अगर आगे हमारे मंत्री अमेरिका के दबाव में श्रीलंका के लिए 10 अरब डॉलर के कर्ज पर कदम रखते हैं तो इसका मतलब है कि हम बिक चुके हैं।"
चीन ने 15 भारतीय जगह के नाम बदले
अरुणाचल प्रदेश में 15 और स्थानों के लिए चीन द्वारा चीनी नामों की घोषणा कर उसे दक्षिण तिब्बत के रूप में दावा किया है, भारत सरकार ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की और कहा कि अरुणाचल राज्य भारत का एक अभिन्न अंग है और आविष्कृत नामों को स्थानों पर असाइन करना ठीक नहीं है।
ग्लोबल टाइम्स के रिपोर्ट में कोऑर्डिनेट के साथ जिन 15 स्थानों को दिखाया है चार पहाड़, आठ रिहायशी इलाके, एक पहाड़ी दर्रा और दो नदियां को दिखाया है वह भारत के अरुणाचल प्रदेश का हिस्सा है।
2017 में भी छह अन्य स्थानों के नाम बदलकर चीन ने दावा किया था, अब फिर से 15 जगह पर नाम बदलकर कब्जा करना, चीन की दूसरी प्रयास है।
चीन के इस विस्तारवादी कदम पर प्रतिक्रिया देते हुए भारत सरकार के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि हमने ऐसी रिपोर्ट देखी है, इसके आगे कोई प्रतिक्रिया नहीं है।
यह पहली बार नहीं है जब चीन ने अरुणाचल प्रदेश राज्य में स्थानों के नाम बदलने का प्रयास किया है। चीन ने अप्रैल 2017 में भी ऐसे नाम देने की मांग की थी। अरुणाचल प्रदेश हमेशा से भारत का अभिन्न अंग रहा है और रहेगा। अरुणाचल प्रदेश में आविष्कृत नामों को निर्दिष्ट करने से इस तथ्य में कोई बदलाव नहीं आता है।"
भारत-चीन सीमा विवाद में 3,488 किलोमीटर लंबी एलएसी शामिल है, और बीजिंग नियमित रूप से अपने दावे की पुष्टि करने के लिए शीर्ष भारतीय नेताओं और अधिकारियों के अरुणाचल प्रदेश के दौरे का विरोध करता है।
चीन के नाम के दूसरे बैच में आठ आवासीय क्षेत्र शन्नन प्रान्त के कोना काउंटी में सोंगकेज़ोंग और डग्लुंगज़ोंग हैं; न्यिंगची के मेडोग काउंटी में मनीगैंग, डुडिंग और मिगपेन; न्यिंगची के ज़ायू काउंटी में गोलिंग और डंबा; और, शान्नन प्रान्त के लुंज़े काउंटी में मेजैग, ग्लोबल टाइम्स ने रिपोर्ट किया। चार पर्वत हैं वामो री, दाऊ री, ल्हुन्जुब री और कुनमिंग्ज़िंग्ज़ी फेंग, यह कहा। रिपोर्ट में कहा गया है कि दो नदियां ज़ेन्योग्मो हे और दुलेन हे हैं, और पहाड़ी दर्रे को से ला नाम दिया गया है।
बीजिंग आक्रामक दृष्टिकोण
चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश में स्थानों के नाम निर्दिष्ट करना भारत के साथ क्षेत्रीय दावों को दोहराने की उसकी रणनीति का हिस्सा है। अतीत में, बीजिंग ने हमेशा भारतीय नेताओं - राष्ट्रपतियों, प्रधानमंत्रियों और वरिष्ठ मंत्रियों - के उत्तर-पूर्वी राज्य के दौरे पर आपत्ति जताई है। हाल के महीनों में, चीन द्वारा वास्तविक नियंत्रण रेखा पर गांवों की स्थापना की खबरें आई हैं। इस तरह से चीन अपने विस्तार बादी नीतियों पर चलते हुए दूसरे देशों की जमीन कब्जाने लगी हुई है।
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