हरिद्वार धर्म संसद विवादित बयान
पिछले दो दिनों से ट्विटर पर हरिद्वार में आयोजित तीन दिवसीय धर्म संसद कार्यक्रम के वीडियो वायरल हो रहे हैं। इस धर्म संसद में यति नरसिंहानंद जैसे कई तथाकथित सनातन धर्म के रक्षकों ने विशेष वर्ग के खिलाफ हिंसा का आह्वान किया। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वायरल हो रहे वीडियो में ऐसी बातें है, जो आतंकवादी और असामाजिक तत्वों द्वारा इस्तेमाल किए जाते हैं। किसी भी तौर पर सनातन धर्म में इस तरह के शब्दों के इस्तेमाल की इजाजत नहीं है। वीडियो देखने से पहली नजर मुस्लिमों के खिलाफ भयानक हिंसा फैलाने की साजिश नजर आती है। धर्म संसद का असली मकसद है समाज में नफरत फैलाना था।
हिंदू और हिंदुत्ववादी में अंतर
धर्म रक्षकों की बातों ने साबित कर दिया कि हिंदू और हिंदुत्व में अंतर होता है। हाल ही में राहुल गांधी ने जयपुर की सभा में कहा था कि हिंदू और हिंदुत्ववादी दो अलग शब्द है। हिंदू सत्य और अहिंसा का सहारा लेता है हिंदुत्ववादी विभाजन,नफरत, और हिंसा का सहारा लेता है। यति नरसिंहानंद और उसके साथी साधुओं ने राहुल गांधी की बातों को पुष्टि कर दी हिंदुत्ववादी पीठ पर वार करता है।
यति नरसिधानंद के वायरल वीडियो
वायरल वीडियो के अंश में यति नरसिंहानंद को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि हिंदुओं को मुसलमानों से बेहतर हथियार रखने करने की जरूरत है, उनका कहना था की लड़ाई में बेहतर हथियार वाले जीतते हैं।
उन्होंने हिंदुओं को भड़काते हुए कहा कि समय आ गया है कि जनसंख्या बढ़ाने के लिए। समय की मांग है कि हिंदुओं के पास बेहतर हथियार हो जिससे वह अपने बच्चों और परिवार की रक्षा कर सकें।
एक वीडियो में स्वामी सागर सिंधु महाराज हिंदुओं से तलवार की जगह लाख रुपए का हथियार रखने की सलाह दे रहे थे। महाराज का कहना था कि 5000 की मोबाइल तो कोई भी व्यक्ति रख सकता है लेकिन हिंदुओं को कम से कम एक लाख का हथियार रखना चाहिए। अगर कोई घर में जबरदस्ती घुसने की कोशिश करें तो वह जीवित बच ना पाए, साथ ही उन्होंने यह भी कहा हथियारों का उपयोग आत्मरक्षा के लिए करना चाहिए ना कि अकारण हिंसा के लिए।
एक वीडियो क्लिप में स्वामी धर्म दास महाराज द्वारा दिया हुआ भाषण बहुत ही गंभीर है और इसे क्षमा नहीं किया जा सकता। स्वामी धर्म दास ने कहा कि अगर मेरे पास हथियार होता तो वह पूर्व पीएम मनमोहन सिंह को मार देता। भारतीय संविधान में इसकी इजाजत नहीं है और ऐसे वक्तव्य के लिए कठोर से कठोर सजा का प्रावधान हैं। वीडियो में स्वामी प्रभोनानंद ने मुसलमानों के "सफाई अभियान" का आह्वान किया था जिसका साफ मकसद था भारत से मुस्लिमों का सफाया करने के लिए उकसाना। एक वीडियो में धर्म बचाने के लिए भिंडरवाला और प्रभाकरण जैसे व्यक्ति की आवश्यकता है। आप सोच सकते हैं साधुओं द्वारा लोगों को आतंकवादी बनने की सलाह देना कितना सही है।
एक वीडियो में साध्वी अन्नपूर्णा द्वारा भड़काऊ भाषण दिया गया जिसमें कहा गया कि हमें किसी भी हाल में 2029 में मुस्लिम प्रधानमंत्री नहीं बनने देना है। साध्वी ने भड़काऊ भाषण देते हुए कहा कि जो भी हमारे हिंदू और सनातन धर्म पर खतरा बन कर आएगा उसको खत्म करने के लिए चाहे मुझे गोडसे बनना पड़ेगा मैं बन जाऊंगी। शब्दों की मर्यादा रखते हुए मैं यहां पर ज्यादा नहीं लिख सकता। सोशल मीडिया पर वीडियो क्लिप उपलब्ध है आप देख सकते हैं।
विदेशी मीडिया में चर्चा
हरिद्वार के हम संसद के बारे में टेलीग्राफ न्यूज़पेपर में राहुल गांधी के ट्वीट को दिखाते हुए साधुओं द्वारा दिए गए बयानों की निंदा की है।
न्यूयॉर्क टाइम्स ने भी भारत में फेल है नफरत और मुस्लिमों के खिलाफ किए जा रहे हैं साजिश के बारे में चिंता जताई है। न्यूयार्क टाइम्स का कहना था कि भारत के नेता चुप है और हिंदू समाज मुस्लिमों के लिए हिंसा की बात कर रहे हैं।
बीबीसी ने इस मुद्दे पर प्रश्न उठाया है और आर्टिकल लिखा है। इन अखबारों और न्यूज़ एजेंसियों स्क्रीनशॉट आप देख सकते हैं।
निष्कर्ष
दुनिया के किसी भी धर्म में हिंसा की इजाजत नहीं है। कोई भी धर्म एक दूसरे धर्म के खिलाफ नफरत और हिंसा की इजाजत नहीं देता है, सनातन धर्म में तो बिल्कुल नहीं। कोई भी देश अपने देश में रहने वाले नागरिक को दूसरे नागरिक के खिलाफ हथियार उठाने की इजाजत नहीं देती है। अगर कोई गलती करता है उसके लिए कानून और संविधान है।
इन नफरत फैलाने वाले साधुओं के व्यवहार से यह देश की जनता की आंखें खुली है और एकजुट होकर के स्वर में इनका विरोध कर रहे है। इन साधुओं की आज संवेदनशीलता और गैर जिम्मेदाराना बयानों के कारण भारत देश अब हिंदू और हिंदुत्ववादी में बट गया।
शिकायत मिलने पर उत्तराखंड पुलिस ने वसीम रिजवी क्योंकि अब हिंदू धर्म अपना लिया है तथा अन्य के खिलाफ एफ आई आर दर्ज किया है। अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है।
विपक्ष के लोग इस बात को गंभीरता से लिया है और दोषियों की सजा देने की मांग की है।
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