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कांग्रेस के बिना तीसरा मोर्चा संभव‌ नहीं- कांग्रेस मजबूत विकल्प

तीसरा मोर्चा, third front

तीसरा मोर्चा: कांग्रेस के बिना तीसरा मोर्चा क्या बन‌ पाएगा?‌ क्या है भविष्य की राजनीतिक समीकरण?

महाराष्ट्र कांग्रेस के नेता नाना पटोले ने रविवार को कहा कि कांग्रेस पार्टी तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव द्वारा भाजपा विरोधी मोर्चा बनाने के प्रयासों का स्वागत करती है। लेकिन साथ ही उन्होंने आगाह भी किया कि क्षेत्रीय दलों की इस तरह की पहल कांग्रेस पार्टी के बिना सफल नहीं हो सकती है।

कांग्रेस पार्टी मजबूत विकल्प

महाराष्ट्र कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले ने कहा:

तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS) के अध्यक्ष श्री राव ने रविवार को मुंबई में अपने महाराष्ट्र समकक्ष और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के प्रमुख शरद पवार से अलग से मुलाकात की। भाजपा विरोधी मोर्चा बनाने के राव के प्रयासों का स्वागत है। लेकिन कांग्रेस के बिना, ऐसे प्रयास न तो पूरे होंगे और न ही सफल होंगे।

श्री पटोले ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार तानाशाही है और संविधान और लोकतंत्र को खत्म करने के लिए काम कर रही है। उन्होंने केंद्र पर राष्ट्रीय संपत्ति बेचने का भी आरोप लगाया। बीजेपी विपक्ष पर निशाना साधने के साथ ही अपने सहयोगियों को खत्म करने की भी कोशिश कर रही है। अब इन सहयोगियों ने बीजेपी से दूरी बना ली है। पहले भी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मुंबई आकर नेताओं से मिलकर इस तरह के प्रयास कर चुकी है, नतीजा कुछ नहीं निकला।

उन्होंने कहा कि टीआरएस ने पहले संसद में भाजपा के फायदे के लिए एक एक स्टैंड लिया था जो था लेकिन अब बीजेपी के बारे में उसके विचार बदल गए हैं। हम केसीआर में हृदय परिवर्तन का स्वागत करते हैं, श्री पटोले ने कहा।

उन्होंने श्री ठाकरे और श्री पवार के साथ देश के सामने आने वाले विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की और एक (राजनीतिक) बदलाव का आह्वान किया। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए (संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन) भाजपा का एकमात्र विकल्प है। उन्होंने यह भी कहा, "क्षेत्रीय दल कांग्रेस को वह विकल्प देने के लिए बाहर नहीं कर सकते।"

संजय राउत का खंडन

शिवसेना सांसद संजय राउत जो भी बोलते हैं बहुत सोच समझकर बोलते। पहले भी श्री राउत कांग्रेस को साथ लेकर चलने के बारे में बोलते रहे हैं। उन्होंने आज भी कहा: कभी नहीं कहा कि कांग्रेस के बिना राजनीतिक मोर्चा बनेगा। जब ममता बनर्जी ने राजनीतिक मोर्चे का सुझाव दिया था, तब उस समय शिवसेना पहली राजनीतिक पार्टी थी जिसने कांग्रेस को साथ लेने की बात कही थी। केसीआर में सबको साथ लेकर नेतृत्व करने की क्षमता है।

समीकरण क्या कहता है?

वर्तमान परिस्थिति में देश का समीकरण कुछ और ही कह रहा है। सत्तारूढ़ बीजेपी के खिलाफ जबरदस्त गुस्से का माहौल है। पांच राज्यों के चुनाव के नतीजे बहुत ही चौकाने वाले होंगे। अब तक के माहौल से पता चलता है कि भाजपा पांचों राज्यों में हारने वाली है।

कांग्रेस में अंदरूनी फूट, विपरीत परिस्थिति तथा मोदी लहर के बाद भी कांग्रेस 2019 में 52 सीट जीतने में कामयाब रही थी। आज सब कुछ उलट गया है, बीजेपी के खिलाफ विपरीत माहौल बन गया है, भाजपा की नकारात्मक राजनीति, नफरत और धर्म की राजनीति को लोगों ने नकारना शुरू कर दिया है।

देश अब विकास, रोजगार, महंगाई, अर्थव्यवस्था, भाईचारा, और शांति के लिए वोट करना चाहता हैं। देश के युवा सवाल करने लगे हैं।‌ 2024 अब ज्यादा दूर नहीं, भाजपा इन 2 सालों में कुछ नहीं कर पाएगी और गुस्सा और भी बढ़ेगा।

कांग्रेस को फायदा होगा

आने वाले चुनाव में कांग्रेस को फायदा होगा। कई राज्यों में कांग्रेस की अपनी सरकार है और यह सरकारें वोटरों को खुश करने के लिए काम कर रही है। छत्तीसगढ़, राजस्थान और महाराष्ट्र की मिली जुली सरकार जनता के विश्वास पर खड़े उतर रही है। केंद्र की राजनीति के लिए हिंदी बेल्ट बेल्ट (उत्तर प्रदेश, बिहार) में कांग्रेस को फायदा मिलेगा।

आज अगर चुनाव हुए तो कांग्रेस को 200 प्लस सीटें मिलेगी। 2024 आते-आते यह आंकड़ा और बढ़ेगा।

कांग्रेस को आगे बढ़कर पहल करना चाहिए

मेरा मानना है कि कांग्रेस को खुद पहल कर लाइक माइंडेड पार्टियों को एकजुट कर मोर्चा बनाना चाहिए। बिहार और उत्तर प्रदेश की मजबूत पार्टियों का समर्थन भी कांग्रेस को ही मिलेगा। मुझे नहीं लगता कि अखिलेश यादव और तेजस्वी यादव कांग्रेस से अलग हटकर कोई मोर्चा बनाएंगे।

पहले इस तरह के मोर्चे फेल हो चुके हैं। महाराष्ट्र की सभी पार्टियां कांग्रेस के साथ है। साउथ की पार्टियां भी कांग्रेस की तरफ नजर बनाए हुए हैं। तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव द्वारा किया गया पहल एक ताजा उदाहरण है। सभी पार्टियां भाजपा से छुटकारा चाहती है और विकल्प के रूप में गठबंधन की सरकार बनाना चाहती है।

10 मार्च के नतीजों के बाद सब कुछ खुलकर सामने आएगा। मुझे लगता है कांग्रेस भी 2024 के लिए काम करना शुरू करेगी। 2024 का चुनाव जीतने के लिए कांग्रेस पार्टी के अंदर भी फेरबदल की जरूरत है। पार्टी किस पर विचार कर रही होगी। फिलहाल चुनाव के नतीजों का इंतजार है। वोटर का रूझान अगर वोटों में तब्दील हुआ होगा तो 10 मार्च के बाद 5 राज्यों में कांग्रेस की अकेले अपनी सरकार होगी। 

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