Pegasus Spyware का सौदा प्रधानमंत्री मोदी ने किया था- न्यूयॉर्क टाइम्स
न्यूयॉर्क टाइम्स के एक खबर ने पेगासस मामले को फिर से जिंदा कर दिया है। न्यूयार्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक प्रधानमंत्री मोदी ने भारत सरकार की तरफ से 2 बिलियन डॉलर का पेगासस स्पाइवेयर सॉफ्टवेयर का सौदा किया था यह सौदा डिफेंस डील के अंतर्गत किया गया था जिसके अंतर्गत मिसाइल और सर्विलांस सिस्टम खरीदने का प्रस्ताव था।
न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक पेगासस का सौदा प्रधानमंत्री जून 2017 में प्रधानमंत्री मोदी के इजराइल दौरे के दौरान किया गया था। रिपोर्ट में यह भी लिखा है कि प्रधानमंत्री भारत के पहले प्रधानमंत्री थे जो इजरायल का दौरा किया था। इससे पहले के प्रधानमंत्री होने एक कूटनीति के साथ इजराइल का बहिष्कार करते रहे थे। भारत हमेशा से इजराइल के तीन विरोधी नीतियों के खिलाफ रहा है।
पेगासस साफ्टवेयर क्या है?
पेगासस स्पाइवेयर एक खतरनाक स्पाइवेयर है जिसे आप खुफिया तरीके से किसी भी नेता, अभिनेता, ब्यूरोक्रेट्स के उपर देश विरोधी गतिविधियों के लिए नजर रख सकते हैं। पेगासस स्पाइवेयर साइबर अपराधियों द्वारा उपयोग किए जाने के लिए भी जाना जाता है। पहली बार इस सॉफ़्टवेयर का पता 2015 में लगा था और तब से यह कई लोगों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। इस प्रकार के स्पाइवेयर का उपयोग उन्हें जाने बिना लक्ष्यों को ट्रैक और मॉनिटर करने के लिए किया जा सकता है, और इसे जबरन वसूली और खुफिया जानकारी एकत्र करने जैसी चीजों के लिए उपयोग किया जाता है। इसका उपयोग मेक्सिको, संयुक्त अरब अमीरात और यहां तक कि संयुक्त राज्य अमेरिका तक ऐसे उद्देश्यों के लिए किया गया है।
विपक्षी पार्टियों की चिंता
विपक्षी पार्टियों और बुद्धिजीवियों को संदेह है कि मोदी ने इसका इस्तेमाल विपक्ष और प्रमुख कर्मियों की निगरानी के लिए किया था।
पेगासस सॉफ्टवेयर खरीदने के लिए मोदी की मंशा पर संदेह करने वाले कई लोग हैं। आलोचकों का कहना है कि वह इसका इस्तेमाल अपने राजनीतिक विरोधियों और अन्य प्रमुख कर्मियों की जासूसी करने के लिए किया। हालांकि, मोदी ने इन आरोपों का खंडन किया है और कहा है कि उनकी योजना केवल अपराधियों और आतंकवादियों पर नज़र रखने के लिए सॉफ़्टवेयर का उपयोग करने की है। बहुत से लोग मानते हैं कि वह बस इतने शक्तिशाली उपकरण पर अपना हाथ रखना चाहता था, और उसका किसी और चीज के लिए इसका इस्तेमाल करने का कोई इरादा नहीं है। मोदी सरकार ने इस के मामले पल्ला झाड़ लिया था। न्यूयॉर्क टाइम्स ने इसे फिर से हवा दे दी है।
मोदी के मंसा पर सवाल
राहुल गांधी ने ट्विटर के माध्यम से विरोध जताया ओर लिखा है कि:
"मोदी सरकार ने हमारे प्राथमिक लोकतांत्रिक संस्थानों, राजनेताओं और जनता की जासूसी करने के लिए पेगासस खरीदा। इन फोन टैपिंग से सरकारी अधिकारी, विपक्षी नेता, सशस्त्र बल, न्यायपालिका सभी निशाने पर थे। यह देशद्रोह है।
मोदी सरकार ने देशद्रोह किया है।"
मोदी सरकार ने हमारे लोकतंत्र की प्राथमिक संस्थाओं, राज नेताओं व जनता की जासूसी करने के लिए पेगासस ख़रीदा था। फ़ोन टैप करके सत्ता पक्ष, विपक्ष, सेना, न्यायपालिका सब को निशाना बनाया है। ये देशद्रोह है।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) January 29, 2022
मोदी सरकार ने देशद्रोह किया है। pic.twitter.com/OnZI9KU1gp
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने भी अंग्रेजी में ट्वीट किया है। उन्होंने कहा: साफ है कि मोदी सरकार ने पार्लियामेंट में झूठ बोला। ट्वीट का हिंदी रूपांतरण है:
"भारत ने 2017 में इज़राइल के साथ 2 बिलियन डॉलर के बड़े सौदे के हिस्से के रूप में पेगासस को खरीदा, NYT का दावा है।
मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि पेगासस (विपक्ष, कार्यकर्ताओं और पत्रकारों की जासूसी करता था) भारत और इज़राइल के बीच सौदे का 'केंद्र बिंदु' था।
साफ है मोदी सरकार ने पार्लियामेंट में झूठ बोला"
India Bought Pegasus as Part of Larger $2 Billion Deal with Israel in 2017, claims NYT.
— Prashant Bhushan (@pbhushan1) January 29, 2022
The media report notes that Pegasus (used to spy on Opp, activists& journos) was the 'centrepiece' of the deal between India & Israel.
It's clear Modi govt lied in Parlhttps://t.co/iNnd9duBqI
न्यूयॉर्क टाइम्स के रिपोर्ट के बाद सुब्रमण्यम स्वामी ने भी एक ट्वीट किया है और सरकार पर सवाल खड़े किए। स्वामी द्वारा अंग्रेजी में किए गए ट्वीट का हिंदी रूपांतरण है:
"मोदी सरकार को आज न्यूयॉर्क टाइम्स के इस खुलासे का खंडन करना चाहिए कि उसने वास्तव में इजरायली एनएसओ कंपनी द्वारा बेचे जाने वाले स्पाइवेयर पेगासस को करदाताओं के ₹300 करोड़ के भुगतान से सदस्यता ली थी। इसका मतलब है कि प्रथम दृष्टया हमारी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट और संसद को गुमराह किया। वाटरगेट?"
Modi government must rebut New York Times revelations today that It did indeed subscribe by payment from tax payers money of ₹ 300 crores to spyware Pegasus sold by Israeli NSO company. This implies prima facie our Govt misled Supreme Court and Parliament. Watergate ?
— Subramanian Swamy (@Swamy39) January 29, 2022
Pegasus को NSO Group के नाम से भी जाना जाता है। सॉफ्टवेयर का अधिग्रहण मूल्य लगभग 2 बिलियन डॉलर है। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी, जिन्होंने जुलाई 2017 में इज़राइल की अचानक यात्रा की, ने कथित तौर पर सुप्रीम कोर्ट, मीडिया के सदस्यों, राजनीतिक विपक्ष और यहां तक कि विदेशी सरकारों के खिलाफ स्पाइवेयर पेगासस का इस्तेमाल किया।
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