क्या POK को युद्ध से भारत में जोड़ा जा सकता है? भारत-पाकिस्तान परमाणु शक्ति, ऑपरेशन सिंदूर और शांतिपूर्ण समाधान पर गहन विश्लेषण।
प्रस्तावना
पाक अधिकृत कश्मीर (POK) को लेकर भारत में लंबे समय से यह चर्चा होती रही है कि इसे बलपूर्वक भारत में जोड़ा जाए। 1947 में पाकिस्तान द्वारा कब्ज़ा किया गया यह इलाका भारत की संसद के प्रस्ताव और जनता की भावना दोनों में ही भारत का अभिन्न अंग माना जाता है। लेकिन सवाल यह है कि आज की परिस्थिति में, जब भारत और पाकिस्तान दोनों परमाणु शक्ति संपन्न देश हैं, क्या युद्ध के रास्ते इस लक्ष्य को पाना संभव है?
1. युद्ध और परमाणु शक्ति का समीकरण
भारत और पाकिस्तान दोनों देशों के पास परमाणु हथियार हैं। 1998 में भारत ने पोखरण-II और पाकिस्तान ने चगाई-I व II परीक्षण कर दुनिया को अपनी शक्ति दिखाई थी। दोनों देशों के बीच नॉन-न्यूक्लियर एग्रेसन एग्रीमेंट भी है, लेकिन पाकिस्तान की "फुल स्पेक्ट्रम डिटरेंस" नीति यह स्पष्ट करती है कि वह पारंपरिक युद्ध में भी परमाणु हथियारों का प्रयोग करने की धमकी देता है।
युद्ध की स्थिति में यह केवल दक्षिण एशिया का संकट नहीं रहेगा, बल्कि पूरे विश्व की शांति और सुरक्षा के लिए खतरा बन जाएगा।
2. हालिया घटनाओं से संकेत
2025 में हुए कश्मीर आतंकी हमले के बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान में स्थित आतंकी ठिकानों पर निशाना साधा। पाकिस्तान ने जवाब में मिसाइल और ड्रोन हमले किए। अमेरिका की मध्यस्थता से जो अस्थायी संघर्षविराम हुआ, वह कुछ ही घंटों में टूट गया। इस टकराव ने साफ कर दिया कि दोनों देश आज भी बेहद संवेदनशील और अस्थिर हालात में खड़े हैं।
3. संभावित युद्ध के परिणाम
यदि कभी युद्ध की नौबत आई और उसमें परमाणु हथियारों का इस्तेमाल हुआ, तो लाखों लोगों की जान जाने के साथ-साथ वैश्विक जलवायु भी प्रभावित होगी। वैज्ञानिक अध्ययनों के अनुसार, भारत-पाकिस्तान के बीच सीमित परमाणु युद्ध भी वैश्विक तापमान में गिरावट, लंबे अकाल और खाद्य संकट का कारण बन सकता है।
4. युद्ध के बजाय वैकल्पिक रास्ते
भारत के लिए पीओके को बलपूर्वक हासिल करना आकर्षक नारा हो सकता है, लेकिन यथार्थ में अधिक समझदारी शांतिपूर्ण विकल्प अपनाने में है:
- कूटनीतिक दबाव: अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान को आतंकवाद का समर्थन बंद करने के लिए मजबूर करना।
- विकास का मॉडल: जम्मू-कश्मीर को विकास, स्थिरता और शांति का उदाहरण बनाना ताकि पीओके की जनता खुद तुलना कर सके।
- वैश्विक सहयोग: मित्र देशों और संयुक्त राष्ट्र के जरिए पाकिस्तान के अवैध कब्जे को उजागर करना।
निष्कर्ष
पीओके का भारत में विलय राष्ट्रीय आकांक्षा अवश्य है, लेकिन युद्ध के रास्ते इसे पाना आत्मघाती कदम साबित हो सकता है। परमाणु शक्ति संपन्न देशों के बीच युद्ध केवल सीमाओं तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि पूरी दुनिया के लिए संकट का कारण बनेगा। अतः भारत को कूटनीति, विकास और जनमत जैसे शांतिपूर्ण उपायों से ही आगे बढ़ना चाहिए। यही रास्ता स्थायी समाधान और विश्व शांति दोनों के लिए सही है।
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