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भारत का इतिहास: मराठा, पेशवा और राजपूतों के विदेशी ताकतों से गठजोड़ एवं विवादित घटनाएँ

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भारत का इतिहास: मराठा, पेशवा और राजपूतों का विश्वासघात एवं कायरता

भारत का इतिहास युद्ध, संधियाँ, नीतियाँ, और सत्ता संघर्ष से भरा हुआ है। विभिन्न शासकों ने समय-समय पर अपने राज्य को सुरक्षित करने और विस्तार करने के लिए विदेशी ताकतों के साथ गठजोड़ किया। इनमें मराठा, पेशवा और राजपूत भी शामिल थे, जिन्होंने कभी अपनी ताकत बढ़ाने के लिए तो कभी परिस्थितियों के कारण विदेशी आक्रांताओं से हाथ मिलाया। लेकिन इस दौरान कई ऐसे अवसर भी आए जब इन गठबंधनों ने भारत के अन्य राज्यों और हिन्दू मंदिरों को नुकसान पहुँचाया।



मराठा और पेशवा: विदेशी ताकतों के साथ गठजोड़ और विवादित घटनाएँ

1. मराठा और नादिर शाह (1739)

नादिर शाह 1739 में भारत पर हमला करने के बाद दिल्ली में भयानक लूटपाट और नरसंहार करता है।

  • इस दौरान मराठाओं की स्थिति मजबूत थी, लेकिन उन्होंने नादिर शाह को रोकने का कोई ठोस प्रयास नहीं किया।
  • नादिर शाह ने दिल्ली के लाल किले से बेशुमार खजाना, हीरे-जवाहरात और कोहिनूर हीरा लूट लिया।
  • मंदिरों और आम जनता की संपत्तियों को भी लूटा गया।

2. मराठा और अहमद शाह अब्दाली (1761)

अहमद शाह अब्दाली ने भारत पर कई बार आक्रमण किया और 1761 में पानीपत की तीसरी लड़ाई में मराठाओं को हरा दिया।

  • इस युद्ध से पहले और बाद में मराठाओं ने अंग्रेजों से सहायता माँगी थी।
  • हालांकि, अंग्रेजों ने सीधे तौर पर मराठाओं की मदद नहीं की।
  • मराठाओं ने इस युद्ध में कमजोर राजनीतिक रणनीति के कारण बहुत बड़ी हार झेली।

3. मराठाओं और अंग्रेजों का गठबंधन

मराठाओं ने कई मौकों पर अंग्रेजों के साथ संधियाँ कीं, जिनमें बेसिन की संधि (1802) प्रमुख थी।

  • बाजीराव द्वितीय ने इस संधि के तहत अंग्रेजों की मदद ली और उनकी शर्तों को मानकर मराठा शक्ति को कमजोर कर दिया।
  • इस संधि के बाद मराठा साम्राज्य धीरे-धीरे अंग्रेजों के नियंत्रण में चला गया।

4. मराठाओं द्वारा मंदिरों की लूट

मराठाओं की सेना दक्षिण भारत में अभियान चलाने के दौरान कई मंदिरों से कर वसूलती थी।

  • श्रीरंगम मंदिर और तंजावुर के मंदिरों में मराठा सेनाओं के लूटने के प्रमाण मिलते हैं।
  • कुछ जगहों पर उन्होंने भारी कर लगाया और धन वसूली की।


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राजस्थान के राजपूत और मुगलों के साथ संधियाँ एवं विवादित कृत्य

1. राणा सांगा और बाबर (1526-1527)

राणा सांगा भारत में मुस्लिम आक्रमणकारियों के खिलाफ एक बड़े प्रतिरोध के रूप में उभरे, लेकिन उन्होंने ही बाबर को भारत आने का निमंत्रण दिया।

  • राणा सांगा ने दिल्ली के सुल्तान इब्राहिम लोदी को हराने के लिए बाबर से मदद माँगी।
  • बाबर ने 1526 में पानीपत की पहली लड़ाई में इब्राहिम लोदी को हराकर दिल्ली पर कब्जा कर लिया।
  • इसके बाद बाबर ने राणा सांगा को भी अपना दुश्मन मानकर 1527 में खानवा के युद्ध में उन्हें पराजित किया।
  • राणा सांगा का यह निर्णय भारत में मुगलों के स्थायी शासन की नींव डालने में मददगार साबित हुआ।

2. राजा मानसिंह और अकबर

राजा मानसिंह आमेर के कच्छवाहा वंश के राजा थे और अकबर के सबसे बड़े सेनापतियों में से एक बने।

  • उन्होंने हल्दीघाटी के युद्ध (1576) में महाराणा प्रताप के खिलाफ अकबर की ओर से युद्ध किया।
  • उनकी अगुवाई में मुगल सेना ने मेवाड़ के कई इलाकों में लूटपाट और अत्याचार किया।
  • मानसिंह को अकबर ने बड़ी जागीरें दीं, जिससे उनकी शक्ति बढ़ती गई।
  • उन्होंने हिंदू राज्यों के खिलाफ कई युद्ध लड़े, जिससे राजपूतों की स्वतंत्रता को कमजोर किया।

3. राजा जयसिंह और शिवाजी (1665)

जयपुर के राजा जयसिंह प्रथम (मिर्जा राजा जयसिंह) ने औरंगज़ेब के साथ मिलकर हिंदू वीर शिवाजी महाराज को हराने का षड्यंत्र रचा।

  • 1665 में पुरंदर की संधि के तहत शिवाजी को मुगलों के सामने आत्मसमर्पण करना पड़ा।
  • शिवाजी को मजबूरन आगरा जाना पड़ा, जहाँ उन्हें औरंगज़ेब ने बंदी बना लिया।
  • इस संधि के बाद शिवाजी की सत्ता कमजोर हुई, हालांकि उन्होंने बाद में स्वतंत्रता पुनः प्राप्त कर ली।

4. मुगलों और राजपूतों के वैवाहिक संबंध

  • राजा भारमल (आमेर के राजा) ने अकबर से संधि कर अपनी बेटी जोधा बाई (हीर कुंवारी) का विवाह अकबर से करवा दिया।
  • इसके बाद कई अन्य राजपूत राजाओं ने भी अपनी बेटियों को मुगलों से विवाह के लिए भेजा।
  • मुगलों ने इन राजपूत शासकों को जागीरें और सत्ता दी, लेकिन बदले में उन्होंने हिंदू राज्यों पर आक्रमण करने में मदद की।


भारत के ऐतिहासिक गठबंधन: सच और साजिश

  • इतिहास हमें यह बताता है कि सत्ता, राजनीति और निजी स्वार्थों के कारण कई भारतीय शासकों ने विदेशी ताकतों के साथ संधियाँ कीं।
  • कुछ मामलों में इन गठबंधनों ने भारत की संस्कृति और धरोहर की रक्षा की, तो कई बार मंदिरों की लूट और अत्याचार का कारण बने।
  • राणा सांगा, राजा मानसिंह, राजा जयसिंह जैसे राजपूत शासकों ने मुगलों के साथ गठजोड़ किया।
  • मराठाओं ने भी कभी-कभी अंग्रेजों और अन्य विदेशी आक्रमणकारियों के साथ संधियाँ कीं।
  • भारत के इतिहास को पूरी तरह से समझने के लिए हमें विभिन्न स्रोतों का अध्ययन करना जरूरी है।


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