कर्पुरी ठाकुर | बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा
कर्पुरी ठाकुर जी को भारत रत्न पुरस्कार से सम्मानित करने का निर्णय विशेष महत्वपूर्ण है। यह पुरस्कार उनके योगदान को स्वीकार करता है और उनकी प्रतिष्ठा को मान्यता देता है। इससे उनके योगदान की महत्वता और सामर्थ्य सार्वजनिक रूप से प्रतिपादित होती है, जो एक प्रेरणास्रोत के रूप में देशवासियों के लिए आदर्श साबित हो सकता है।
कपूरी ठाकुर ने ही बिहार में समाजवाद की स्थापना की थी। उन्होंने बिहार के दलित/पिछड़ों को एकजुट किया था। उनकी बदौलत थी बिहार में आज दलित/पिछड़ों की सरकार है। उनकी विचारधारा में दलित/पिछड़ों को सर उठाकर जीने का तरीका सिखाया।
आईए बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री श्री कर्पूरी ठाकुर जी के बारे में जानते हैं:
कर्पुरी ठाकुर का जीवन परिचय
कर्पूरी ठाकुर, जिनका पूरा नाम कर्पूरी शंकर ठाकुर था, भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण नेता रहे हैं। उनका जन्म 24 दिसम्बर 1924 को बिहार के पूरब चंपारण जनपद के पहलेरी गाँव में हुआ था। ठाकुर ने अपने जीवन में कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया, जिससे उन्हें एक सकारात्मक और उदार नेतृत्व का दर्जा प्राप्त हुआ।
कर्पूरी ठाकुर का जीवन प्रारंभ हुआ एक आम परिवार से, लेकिन उनकी उम्र के पहले ही वे राजनीति में प्रवेश कर गए। उन्होंने अपनी शिक्षा स्थानीय स्कूलों से पूरी की और फिर पटना विश्वविद्यालय से अपनी स्नातक की पढ़ाई की। उनका रूचि क्षेत्र राजनीति में था, और वह जल्दी ही युवा नेता बन गए।
कर्पूरी ठाकुर ने 1952 में बिहार विधानसभा चुनावों में अपना पहला कदम रखा और सफलता प्राप्त की। इसके बाद, उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री पद का कार्यभार संभाला।
कर्पुरी ठाकुर बिहार के मुख्यमंत्री बने
कर्पुरी ठाकुर जी 22 दिसंबर 1970 से 2 जून 1971 तथा 24 जून 1977 से 21 अप्रैल 1979 के दौरान दो बार बिहार के मुख्यमंत्री रहे। उनका योगदान बिहार के विकास और सामाजिक क्षेत्र में सुधार के लिए सराहा गया।
ठाकुर ने अपने कैरियर के दौरान कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए और राज्य के विकास में निरंतर प्रयास किया। उनकी नेतृत्व शैली और लोगों के साथ संवाद कौशल ने उन्हें एक प्रमुख राजनेता बना दिया। उनकी असली आदमीवादी छवि और सामाजिक समर्पण ने लोगों को उनसे जोड़ा।
कर्पूरी ठाकुर, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री, एक नेता और राजनेता थे जिन्होंने अपने कार्यकाल में राज्य के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनका नेतृत्व और सामर्थ्य उन्हें लोगों के बीच एक लोकप्रिय नेता बनाए रखा। उनके कार्यक्षेत्र में हुई योजनाएं और परियोजनाएं राज्य के सामरिक और आर्थिक विकास में मदद करने के लिए थीं।
कर्पुरी ठाकुर जी भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण व्यक्तित्व रहे हैं। उन्होंने अपने साहसिक कार्यों और साहित्यिक योगदान के माध्यम से देश को गर्व महसूस कराया है। उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया जाना, उनके योगदान को मान्यता प्रदान करता है और उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को पुनः याद दिलाता है।
कर्पुरी ठाकुर जी ने अपने जीवन के दौरान विभिन्न क्षेत्रों में अपनी प्रथमता प्रदान की है। उन्होंने राजनीति, साहित्य, शिक्षा और सामाजिक कार्यों में अपनी अद्वितीय योगदान दिया है। उनके लेखन कार्य, जैसे कि काव्य, कहानियाँ, नाटक और विचारधारा से भरपूर रहे हैं और उन्होंने साहित्यिक जगत को विस्तार दिया है।
कर्पुरी ठाकुर का निधन
कर्पूरी ठाकुर का निधन 64 साल की उम्र में 17 फरवरी, 1988 को दिल का दौरा पड़ने से हुआ था।
कर्पूरी ठाकुर की मृत्यु ने एक युग की समाप्ति का संकेत किया, लेकिन उनका योगदान और उनके उत्तराधिकारीओं द्वारा उनकी विचारशीलता का आदान-प्रदान आज भी याद किया जाता है। उनकी नेतृत्व और उनके कार्यों के माध्यम से, कर्पूरी ठाकुर ने बिहार को एक नए दौर की ओर पहुंचाया और उसे सशक्त राज्य बनाने के लिए अपना संपूर्ण समर्पण दिया।
अभिवादन करते हैं, दोस्तों! हमें आपके साथ कर्पुरी ठाकुर जी के बारे में इस छोटे ब्लॉग के माध्यम से बात करके खुशी हुई। उम्मीद है कि यह आपको उनके विचारों और योगदान के बारे में अधिक जानने में मदद करेगा। धन्यवाद और शुभकामनाएं!
यह भी पढ़ें:
Also Watch Video on YouTube
0 Comments