Ticker

6/recent/ticker-posts

राहुल गाँधी (Rahul Gandhi) द्वारा जातिगत जनगणना की मांग: सामाजिक समरसता की दिशा में एक बड़ा कदम

राहुल गाँधी (Rahul Gandhi)

राहुल गाँधी द्वारा जातिगत जनगणना की मांग: सामाजिक समरसता की दिशा में एक बड़ा कदम


भूमिका:

भारत, एक विविधता से भरपूर देश है, जिसमें विभिन्न जाति और धर्म के लोग रहते हैं। हालांकि, इस विविधता में सामंजस्य बनाए रखना और सभी को समान अवसर प्रदान करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। इस समस्या का समाधान ढूंढ़ने का एक तरीका जातिगत जनगणना हो सकता है।


जातिगत जनगणना और आरक्षण:

जातिगत जनगणना का मुख्य उद्देश्य समाज में असमानता को पहचानना और उसका समाधान करना है। इसके माध्यम से हम सही तथ्यों को जान सकते हैं और समाज में समानता की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं। इसके साथ ही, आरक्षण का प्रावधान उन वर्गों के लिए है जो ऐतिहासिक रूप से वंचित रहे हैं।


राहुल गाँधी द्वारा जातिगत जनगणना की मांग

राहुल गाँधी जातिगत जनगणना की मांग करते हैं, ताकि समाज में समानता की बढ़ावा हो सके। उनका तर्क है कि अगर हम सही संख्याएँ नहीं जानेंगे, तो समस्याएं सही तरीके से समाधान नहीं हो सकती। जातिगत जनगणना से उचित आरक्षण की ताकत बढ़ेगी, जिससे वर्गवाद और असमानता का मुकाबला किया जा सकेगा।

पने भारत जोड़ो यात्रा के दौरान उन्होंने समाज के हर वर्ग को करीब से देखा और महसूस किया है। उन्होंने देखा की गरीब और गरीब होते जा रहें है। देश का सारा रुपया दो से तीन उद्योगपतियों के हाथ में है, मोदी सरकार उन उद्योगपतियों के लिए काम कर रही है। देश की तमाम उद्योग धंधे, एयरपोर्ट, एयर इंडिया, रेलवे, तेल भंडार, खादान और देश की जमीन उद्योगपतियों को रेवरियों की तरह बांटा जा रहा है। 

सरकारी नौकरियों को प्राइवेट कर दलित/पिछड़ों/ आदिवासियों का हक़ छिना जा रहा है। राहुल गाँधी द्वारा जातिगत जनगणना का ये पहल समाज के हर वर्ग को उचित मौका देगा। अगर ये सिस्टम लागु होता है तो सारा झगड़ा ही ख़त्म, देश के साथ साथ जानत भी तरक्की करेगी।

जातिगत जनगणना फायदे:


  • 1. समाज में समानता: जातिगत जनगणना से हम समाज में असमानता के क्षेत्रों को पहचान सकते हैं और उन्हें समाधान करने के लिए कदम उठा सकते हैं।
  • 2. आरक्षण की ताकत: सही आंकड़ों के आधार पर आरक्षण को और भी सुधारा जा सकता है ताकि यह उन्हें जो वंचित रहे हैं, उन्हें सही मुकाबला मिले।
  • 3. रोजगार में भागीदारी: जातिगत जनगणना से लोगों को नौकरियों में सही रूप से भागीदारी मिलेगी, जिससे समाज में सामंजस्य और समरसता बढ़ेगी।
  • परिवार का उत्थान: जिस परिवार के कोई व्यक्ति को सरकारी नौकरी मिल जाती है उनके परिवार का रहन-सहन बदल जाता है, वे किसी का मोहताज नहीं रहते है उनके बच्चो का सुधर जाता है। सिर्फ एक नौकरी से ही कई पीढियुओं का भला हो जाता है। 


निष्कर्ष:

जातिगत जनगणना और आरक्षण से समाज में समानता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया जा सकता है। इससे न केवल सही आंकड़ों का पता चलेगा, बल्कि उचित रूप से आरक्षण का उपयोग होगा ताकि समाज में सभी को बराबरी का मौका मिले। इस से नया भारत बनाने की दिशा में मदद मिलेगी, देश की जनता खुशहाल होगी और देश आगे बढ़ेगा।


यह भी पढ़ें:





















Also Watch Video on YouTube









Post a Comment

0 Comments