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तानाशाह (Dictator): तानाशाही के लक्षण, तानाशाही शासन क्या है?

तानाशाह (Dictator): तानाशाही के लक्षण, तानाशाही शासन क्या है?

तानाशाह: लोकतंत्र के शत्रु, मानवता का दुश्मन


तानाशाह (Dictator)

तानाशाह - यह शब्द सुनते ही हमारे मन में अनेक अंधविश्वास और डर की भावना उत्पन्न होती है। तानाशाह वह व्यक्ति होता है जो सत्ता के लालच में अपनी मनमर्जी करता है, जनता के साथ अत्याचार करता है और लोकतंत्र की सांस्कृतिक, सामाजिक और राजनीतिक मूल्यों को ध्वस्त करता है।


तानाशाह की पहचान

एक तानाशाह अपने आसपास अपनी विचारधारा के लोगों को इकट्ठा करता है और उन पर बेरहमी से नियंत्रण करने की कोशिश करता है। वह अपने समर्थकों को सत्ता के लिए लुभाता है और उनके समर्थन के बदले में उन्हें अनधिकृत लाभ प्रदान करता है। उनके रहते बलात्कार, भ्रष्टाचार, लूटपाट और जनहित के खिलाफ काम करने वाले तत्व आसानी से उनकी पार्टी में शामिल हो जाते हैं। तानाशाह भ्रष्ट व्यक्तियों, बलात्कारियों, लुटेरों और आतंकवादियों को अपनी पार्टी में शामिल करने से नहीं कतराता। 

तानाशाह गलत लोगों को भर्ती करता है और उनका इस्तेमाल देश विरोधी गतिविधियों में करता है। तानाशाह देश के संसाधनों को अपने दोस्तों और व्यापारियों को सौंप देता है; बदले में, व्यवसायी उसे सत्ता में बने रहने में सहायता करते हैं। एक तानाशाह देश की मीडिया, न्यायपालिका, लोकपाल, सेना और पुलिस में अपने लोगों की घुसपैठ कराता है और अपने निजी लाभ के लिए उनका शोषण करता है।

तानाशाह अपने विरोधियों को जेल भेजकर या उन्हें मारकर अपनी सत्ता को सुनिश्चित करने का प्रयास करता है। उसकी सत्ता के अंधे लालच के कारण, वह अक्सर संविधान को छेड़ छाड़ करता है और लोकतंत्रिक संस्थाओं को ध्वस्त करने का प्रयास करता है। उसका मुख्य लक्ष्य होता है अपनी सत्ता को बनाए रखना, चाहे उसे लोकतंत्र की खोज में जनता को धोखा देना पड़े।


तानाशाही विनाशकारी होता है

तानाशाही विनाशकारी होती है क्योंकि यह मानवीय स्वतंत्रता, न्याय, समानता और विकास के मूल्यों का उल्लंघन करती है। एक तानाशाह राज्य में, लोगों के अधिकारों की अनदेखी की जाती है और समाज में अन्याय और असहिष्णुता की भावना फैलती है। इसके परिणामस्वरूप, ऐसे राज्यों में अक्सर असंतोष, आतंकवाद, युद्ध, और सामाजिक अस्थिरता का सामना किया जाता है। अतः, तानाशाही राजनीति का विनाशकारी प्रभाव होता है, जो समाज को आघात पहुंचाता है और उसे प्रगति और समृद्धि से वंचित करता है।

तानाशाह देश की एकता और सौहार्द को ध्वस्त करता है, जाति और धर्म के मुद्दों को उन्मूलन करके लोगों के बीच बैर-भावना को बढ़ावा देता है। उसका शासन लोकतंत्र के मूल्यों और सिद्धांतों के खिलाफ होता है और उसे विनाश की ओर ले जाता है।


तानाशाही से तबाह होने वाले देश का उदाहरण

तानाशाही या अत्याचार के तहत किसी भी देश के अनेक उदाहरण हैं, जिनमें से कुछ हैं:

1. अडोल्फ हिटलर (Germany): नाजी जर्मनी के प्रधानमंत्री और जर्मन राष्ट्रपति थे। हिटलर के प्रधानमंत्री के रूप में, उन्होंने जर्मनी को एक तानाशाही स्वरूप में परिवर्तित किया और अनेक अपराधों को किया।

2. मुसोलिनी (Italy): इटली के फासिस्ट नेता बेनितो मुसोलिनी ने भी अपने अधिकार का दुरुपयोग किया और तानाशाही लायी।

3. स्वतंत्र विश्व का स्वामी गद्दाफी (Libya): लीबिया के पूर्व नेता मुआम्मर गद्दाफी भी एक तानाशाह राजनीतिक प्रणाली का प्रतिनिधित्व करते थे।

4. सद्दाम हुसैन (Iraq): इराक के पूर्व राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन ने भी अपने शासनकाल में अत्याचार और तानाशाही का बढ़ावा किया।

5. किम जोंग उन (North Korea): उत्तर कोरिया के वर्तमान नेता किम जोंग उन भी एक तानाशाही राजनीतिक प्रणाली का प्रतिनिधित्व करते हैं, जहाँ वे अपनी सत्ता को बनाए रखने के लिए अत्यधिक अधिकार और नियंत्रण बनाए रखते हैं।

ये नेता अपने देशों में अत्याचार, मानवाधिकारों का उल्लंघन, और अन्य तानाशाही प्रक्रियाओं के माध्यम से अपनी सत्ता को बनाए रखने के लिए कठोर कदम उठाते रहे हैं।


तानाशाही से छुटकारा

तानाशाही से छुटकारा पाने के लिए लोगों को संगठित और सामाजिक रूप से काम करना चाहिए। यहाँ कुछ कदम हैं जो लोग तानाशाही से छुटकारा पाने के लिए अपना सकते हैं:

1. जागरूकता फैलाना: लोगों को तानाशाही के खिलाफ जागरूक करना आवश्यक है। उन्हें अपने अधिकारों के बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहिए और उन्हें लोकतंत्रिक प्रक्रियाओं में भाग लेने की प्रेरणा देनी चाहिए।

2. संगठन और सहयोग: लोगों को एकजुट होकर तानाशाही के खिलाफ सामूहिक रूप से लड़ना चाहिए। वे मिलकर नागरिकों के अधिकारों की रक्षा कर सकते हैं और तानाशाही के खिलाफ आवाज उठा सकते हैं।

3. विश्वासी और समर्थनीय संघटनों के साथ जुड़ना: विभिन्न सामाजिक संगठनों और मानवाधिकार समूहों के साथ जुड़कर, लोग तानाशाही के खिलाफ एक मजबूत और समर्थनीय यात्रा में शामिल हो सकते हैं।

4. न्यायालयी संघर्ष: तानाशाही के खिलाफ न्याय की खोज करने के लिए न्यायिक मार्ग का सहारा लिया जा सकता है। न्यायालयों में याचिकाओं को लेकर लोग अपने अधिकारों की रक्षा करने के लिए उत्तरदायी सक्रिय हो सकते हैं।

5. देशी और अंतरराष्ट्रीय दबाव: अंतरराष्ट्रीय समुदायों के साथ संयुक्त रूप से काम करके, लोग तानाशाही के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ा सकते हैं। अंतरराष्ट्रीय दबाव तानाशाही को बदलने के लिए एक प्रभावी तरीका हो सकता है।

इन कदमों के साथ, सक्रिय और सहयोगी समाज के रूप में लोग तानाशाही से निपट सकते हैं और एक स्वतंत्र और न्यायमूलक समाज की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं।

निष्कर्ष

लोकतंत्र के सशक्त रक्षकों के रूप में, हमें सतत जागरूक रहना चाहिए और तानाशाहों के खिलाफ लड़ाई में सामना करना चाहिए। हमें उनके खिलाफ धर्मनिरपेक्ष, समर्थन करना चाहिए और लोकतंत्र की रक्षा करने के लिए संघर्ष करना चाहिए। तानाशाहों के खिलाफ हमारी आवाज़ को मजबूत और सटीक बनाए रखने के लिए हमें साथ मिलकर काम करना होगा। इस लड़ाई में, हमें लोकतंत्र की सुरक्षा और समृद्धि के लिए साझा जिम्मेदारी का आभास होना चाहिए।


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