हार्ट अटैक Heart Attack (दिल का दौरा)
दिल को खून की सप्लाई करने वाली धमनियों में जब अवांछित चर्बी जमा हो जाता है तो उससे खून की सप्लाई धीमा पड़ जाता है या रुक जाता है तो हार्ट अटैक आता है। धमनियों में प्लाक (चर्बी) जमने को एथरोस्क्लेरोसिस भी कहा जाता है। हार्ट अटैक का मुख्य कारण कोरोनरी आर्टरी डिजीज (CAD) है। हालांकि, कोरोनरी धमनी जिसके जरिए रक्त का संचार होता है उसमें गंभीर ऐंठन या अचानक संकुचन (Contraction) के कारण भी हार्ट की मांसपेशियों को खून की सप्लाई रुक सकती है और इनकी वजह से दिल का दौरा पड़ सकता है, लेकिन बहुत ही कम मामलों में ही ऐसा होता है।
दिल का दौरा (हार्ट अटैक) मुख्यतया दो प्रकार के होते हैं।
टाइप-1 हार्ट अटैक: टाइप - 1 हार्ट अटैक तब आता है, जब धमनी की भीतरी दीवार पर मौजूद प्लाक या चर्बी की परत टूट जाती है और कोलेस्ट्रॉल व अन्य पदार्थ खून की सप्लाई में शामिल हो जाते हैं। इसकी वजह से धमनियों में रक्त का थक्का (Blood Clot) बन जाता है और यह खून की रुकावट का कारण बन जाता है।
टाइप-2 अटैक: टाइप-2 हार्ट अटैक तब आता है, जब दिल को अच्छी तरह से काम करने के लिए भरपूर मात्रा में ऑक्सीजनयुक्त खून नहीं मिलता, इस स्थिति में धमनी में ब्लॉकेज नहीं होता है।
हार्ट अटैक के लक्षण
हार्ट अटैक या दिल का दौरा पड़ने पर कुछ लक्षण दिखाई देते हैं, जिन्हें यदि जल्दी समय रहते पहचान लिया जाए तो दिल को अधिक नुकसान से बचाने के साथ साथ मरीज की जान भी बचाई जा सकती है।
- सीने में दर्द या बेचैनी : हार्ट अटैक के ज्यादातर मामलों में छाती के बीच में या बाईं ओर असुविधा होती है, बेचैनी महसूस होती है। यह बेचैनी कुछ मिनटों के लिए हो सकती है और कई बार कुछ देर रुकने के बाद फिर से वापस महसूस होती है। इस बेचैनी के दौरान तेज दबाव, दिल को मरोड़ने जैसा भयानक दर्द महसूस होता है।
- सांस लेने में दिक्कत : सीने में दर्द के साथ सांस लेने में दिक्कत होती है, लेकिन सीने में दर्द से पहले भी सांस लेने में तकलीफ़ हो सकती है।
- कमजोरी महसूस करना, हल्का-हल्का और बेहोशी छाना. यही नहीं ठंडा पसीना का आना।
- जबड़े, गर्दन और पीठ में दर्द या बेचैनी महसूस करना।
- एक या दोनों बाहों य कंधों में दर्द और असहज महसूस होना।हार्ट अटैक के अन्य लक्षणों में असामान्य और बिना किसी कारण के थकान, मतली या उल्टी आना भी शामिल हैं। इस तरह के लक्षण खासतौर पर महिलाओं में ज्यादा दिखते हैं।
- शरीर के ऊपरी हिस्से में दर्द
हार्ट अटैक के अन्य कारण
हार्ट अटैक के अन्य कारणों में रक्त वाहिका (धमनियों ) का फटना, रक्त वाहिका में ऐंठन, नशीले पदार्थ का अत्यधिक सेवन, अधिक धूम्रपान, गलत खानपान, तैलिये खान पान, व्याम न करना, हाई ब्लड प्रेशर, हाई ब्लड शुगर, हाई कोलेस्ट्रॉल, मोटापा, बहुत अधिक तनाव (stress), ट्रांसफैट या सैचुरेटिड फैट डाइट लेना, स्लीप एपनिया (आठ घंटे से कम नींद) और रक्त में ऑक्सीजन की कमी (Hypoxia) शामिल हैं।
ऊपर बताए गए हार्ट अटैक के जोखिम कारकों को अपने लाइफस्टाइल और खान पान में बदलाव करके नियंत्रित किया जा सकता है, लेकिन कुछ जोखिम कारकों को नियंत्रित नहीं किया जा सकता है जैसे कि आपकी उम्र और पारिवारिक इतिहास। उम्र बढ़ने के साथ हार्ट अटैक का खतरा भी बढ़ता जाता है और अगर आपके परिवार में किसी को पहले हार्ट अटैक या दिल की कोई बीमारी रही है तो आपको भी हार्ट अटैक का खतरा हो सकता है. हालांकि, आप स्वयं अपने पर नियंत्रण रखकर और लाइफस्टाइल में बदलाव करके अपने इन खतरों को कुछ हद तक कम कर सकते हैं।
तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें
अगर आपको दिल का दौरा पड़ने के लक्षण हैं, तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
अगर आपको या किसी और को दिल का दौरा पड़ने के लक्षण दिखते हैं तो तुरंत डॉक्टर को बुलाएं। जितनी जल्दी आप आपातकालीन कक्ष में जाते हैं, उतनी ही जल्दी आप हृदय की मांसपेशियों की क्षति की मात्रा को कम करने के लिए उपचार प्राप्त करना शुरू कर सकते हैं। अस्पताल में, चिकित्सा कर्मचारी कार्रवाई का सर्वोत्तम तरीका निर्धारित करने के लिए परीक्षण कर सकते हैं और यह निर्धारित कर सकते हैं कि वास्तव में दिल का दौरा पड़ रहा है या नहीं।
हृदय की पंपिंग क्रिया को फिर से शुरू करने के लिए कुछ दिल के दौरे के उदाहरणों में कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) या दिल को बिजली का झटका (डीफिब्रिलेशन) आवश्यक हो सकता है। आपातकालीन चिकित्सा कर्मियों के आने तक, सीपीआर या डीफिब्रिलेटर का उपयोग करने के लिए प्रशिक्षित लोग सहायता करने में सक्षम हो सकते हैं।
ध्यान रखें कि जितनी जल्दी आपातकालीन उपचार दिया जाता है, दिल का दौरा पड़ने से बचने की संभावना उतनी ही अधिक होती है।
हार्ट अटैक का इलाज क्या है?
हार्ट अटैक आने के बाद मरीज को कैसे इलाज किया जाता है? इस प्रश्न का सीधा उत्तर यह है कि हार्ट अटैक आने के बाद डॉक्टर मरीज की हालत का परिक्षण करने के बाद कई तरह से इलाज करते हैं। इसमें मरीज को दर्द से राहत देना, दिल को अधिक नुकसान से बचाना और फिर से आगे फिर से अटैक न आए उसके लिए उपाय करना शामिल हैं। निम्न तरीकों से हार्ट अटैक के मरीजो का इलाज किया जाता है-
- स्टेंट – एंजियोप्लास्टी के दौरान डॉक्टर मरीज की धमनी में तार से बनी जाली के स्टेंट को लगा देते हैं, ताकि धमनी खुली रहे और रक्त का प्रवाह सामान्य रूप से जारी रहे।
- एंजियोप्लास्टी – एंजियोप्लास्टी की मदद से धमनी में मौजूद प्लाक (चर्बी) को हटाकर और बलून का इस्तेमाल करके ब्लॉकेज को खोल दिया जाता है।
- हार्ट बाईपास सर्जरी – जब ब्लॉकेज को हटाना संभव नहीं होता है तो डॉक्टर रक्त प्रवाह को सुचारू रूप से जारी रखने के लिए बाईपास सर्जरी का विकल्प का इश्तेमाल करते है।
- हार्ट वाल्व सर्जरी – वाल्व रिपेयर या रिप्लेसमेंट सर्जरी में सर्जन दिल के वाल्व को रिपेयर या बदल देते हैं, ताकि दिल सुचारु रूप से खून को पूरे शरीर में पंप कर सके।
- पेसमेकर – पेसमेकर एक ऐसा यंत्र है, जिसे शरीर में त्वचा के नीचे लगाया जाता है। पेसमेकर हार्ट को सामान्य रूप से धड़कने में मदद करता है।
- हार्ट ट्रांस्प्लांट – जब दिल का दौरा पड़ने या दिल की कोई और घातक बीमारी से हृदय के अधिकांश हिस्से को स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त हो जाते है या ज्यादातर उत्तक मर जाते हैं। इस स्थिति में डॉक्टर हार्ट ट्रांस्प्लांट (हृदय प्रत्यारोपण) की सिफारिश करते हैं।
हार्ट अटैक के इलाज के लिए डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है, डॉक्टर नीचे बताई गई दवाओं के सेवन के लिए भी कह सकते हैं:
- एस्पिरिन
- रक्त के थक्कों Blood Clots को तोड़ने के लिए दवाएं
- एंटी प्लेटलेट और एंटीकोगुलैंट दवाएं, जिन्हें ब्लड थिनर यानी रक्त को पतला करने वाली दवा के रूप में भी जाना जाता है
- दर्दनिवारक दवाएं
- नाइट्रोग्लिसरीन
- ब्लड प्रेशर की दवा
- बीटा-ब्लॉकर्स
हार्ट अटैक आने के बाद जल्द से जल्द इलाज बहुत जरूरी होता है. हार्ट अटैक आने के बाद जितनी जल्दी इलाज किया जायेगा, जितनी जल्दी रक्त प्रवाह को सुचारू किया जायेगा उतना ही आपके दिल को नुकसान कम पहुंचेगा और आपके जीवित बचे रहने की संभावना बढ़ेगी।
हार्ट अटैक से बचाव
अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के अनुसार, कार्डियोवैस्कुलर स्वास्थ्य को बढ़ाने और संरक्षित करने के लिए महत्वपूर्ण कार्यों को "लाइफ एसेंशियल 8" के रूप में जाना जाता है। हृदय रोग, स्ट्रोक और अन्य गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के जोखिम को हृदय स्वास्थ्य में सुधार के साथ कम किया जा सकता है।
निम्नलिखित गतिविधियाँ आपको दिल के दौरे के जोखिम को कम करने में मदद कर सकती हैं:
1. स्वस्थ भोजन करें
एक संतुलित आहार का लक्ष्य रखें जिसमें संपूर्ण खाद्य पदार्थ, बहुत सारे फल और सब्जियां, लीन प्रोटीन, नट्स, बीज, और गैर-उष्णकटिबंधीय तेल जैसे कि जैतून और कैनोला तेल का इस्तेमाल करना चाहिए। कम कोलेस्ट्रॉल वाले खाद्य पदार्थ का सेवन, फाइबर से भरपूर भोजन तथा संतुलित आहार का सेवन करना चाहिए।
2. व्यायाम करना जरुरी
वयस्कों को हर हफ्ते 75 मिनट के ज़ोरदार व्यायाम या 2 से तीन घंटे की मध्यम गतिविधि का चहलकदमी जरुरी है। हर दिन, बच्चों को संरचित गतिविधियों और खेल में काम से काम 60 मिनट लगाना चाहिए। व्यायाम बहुत जरुरी है, यह हमारे शरीर में अवांछित चर्बी को ज़मने से रोकता है, कोलेस्ट्रॉल कम करता है, ब्लड प्रेशर को ठीक रखता है और ब्लड शुगर को भी निम्न रखता है।
3. तंबाकू और धुम्रपान बंद करे
पूरे विश्व में मृत्यु दर का सबसे कारण धूम्रपान और तंबाकू का सेवन करत है, जिसमें हृदय रोग से होने वाली मौतों का लगभग एक-तिहाई हिस्सा शामिल है। सिगरेट और तंबाकू जानलेवा है और शरीर पर बुरा दुष्प्रभाव डालता है। यह धीरे धीरे हृदय को कमजोर करता है जिससे हार्ट अटैक की संभावना बढ़ जाती है।
4. अच्छी नींद लें
वयस्कों को इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए प्रति रात 7-9 घंटे सोना आवश्यक है। वयस्कों की तुलना में बच्चों को अधिक नींद की आवश्यकता होती है: 5 वर्ष और उससे कम उम्र के बच्चों को झपकी सहित 10-16 घंटे की आवश्यकता होती है; 6-12 की उम्र के लिए 9-12 घंटे चाहिए; और 13-18 की उम्र के लिए 8-10 घंटे चाहिए। पर्याप्त नींद लेने से पुरानी बीमारियों या दिल का दौरा पड़ने की संभावना कम हो जाती है, मस्तिष्क की कार्यक्षमता बढ़ जाती है और रिकवरी को बढ़ावा मिलता है।
5. वजन कंट्रोल करें
स्वस्थ वजन हासिल करने और बनाए रखने के कई फायदे हैं। बॉडी मास इंडेक्स, जो आपकी ऊंचाई के अनुसार आपके वजन को मापता है, एक उपयोगी संकेतक है। 25 का बीएमआई आदर्श है। ऑनलाइन कैलकुलेटर या पेशेवर चिकित्सा सलाह दोनों विकल्प हैं। ज्यादा वजन बढ़ने से कोलेस्ट्रोल की मात्रा बढ़ती है और ब्लड शुगर भी बढ़ता है। दोनों ही हॉट के लिए बहुत हानिकारक है, इसलिए वजन को कम करना बहुत जरूरी है।
6. कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करें
उच्च गैर-एचडीएल, या "खराब," कोलेस्ट्रॉल के स्तर होने से हृदय रोग हो सकता है। कुल कोलेस्ट्रॉल की निगरानी के बजाय, आपका स्वास्थ्य सेवा प्रदाता गैर-एचडीएल कोलेस्ट्रॉल की निगरानी करने की सिफारिश कर सकता है क्योंकि इसे बिना किसी पूर्व उपवास के जांचा जा सकता है और सभी व्यक्तियों में लगातार इसकी गणना की जाती है।
7. ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करें
हमारा शरीर हमारे द्वारा खाए जाने वाले अधिकांश भोजन को ग्लूकोज (जिसे ब्लड शुगर भी कहा जाता है) में परिवर्तित कर देता है, जिसका उपयोग ऊर्जा के रूप में किया जाता है। रक्त में उच्च ग्लूकोज का स्तर खतरनाक है और समय के साथ आपके हृदय, गुर्दे, आंखें और तंत्रिकाओं को बड़ी क्षति हो सकती है। परीक्षण के भाग के रूप में हीमोग्लोबिन A1c की निगरानी मधुमेह या प्रीडायबिटीज वाले व्यक्तियों में दीर्घकालिक नियंत्रण की अधिक सटीक तस्वीर प्रदान कर सकती है।
8. ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करें
यदि आप उचित सीमा के भीतर अपने रक्तचाप का प्रबंधन करते हैं तो आप बेहतर स्वास्थ्य में अधिक समय तक जीवित रह सकते हैं। आदर्श सीमा 120/80 मिमी एचजी से कम है। 130-139 मिमी एचजी सिस्टोलिक दबाव या 80-89 मिमी एचजी डायस्टोलिक दबाव का मान उच्च रक्तचाप (नीचे संख्या) माना जाता है।
हार्ट अटैक के बाद रिकवरी के लिए क्या करें?
अगर आपको हार्ट अटैक आया है तो, जाहिर है कि आपके हार्ट को क्षति पहुंचा है। इससे हार्ट की धड़कन और शरीर के विभिन्न अंगों तक खून को पंप करने की इसकी क्षमता कम हो जाती है। एक दिल का दौरा पड़ने के बाद आपको आगे चलकर फिर से दिल का दौरा, स्ट्रोक, किडनी से जुड़ी बीमारी पेरिफेरल आर्टिरियल डिजीज (PAD) हो सकती हैं। हार्ट अटैक के बाद फिर से आपको भविष्य में इस तरह की समस्याएं न हों, उसके लिए आपको निम्न बातों का ध्यान रखना जरूरी है:
फिजिकल एक्टिविटी – हार्ट अटैक के बाद फिजिकली एक्टिव रहना बहुत जरूरी होता है। अपने डॉक्टर से सलाह लें कि आप अपने को स्वस्थ रखने और भविष्य में किसी अन्य समस्या से बचने के लिए नियमित तौर पर किस तरह के व्यायाम कर सकते हैं। डॉक्टर आपको कुछ समय के लिए भारी काम और यात्रा कम करने के साथ ही यौन गतिविधियां कम करने को भी सलाह दे सकते हैं।
लाइफस्टाइल में बदलाव – हेल्थी भोजन करना, नियमित तौर पर व्यायाम करना, धूम्रपान न करना और तनाव को कम करने के साथ ही डॉक्टर द्वारा बताई कई दवाओं का नियमित रूप से समय पर सेवन करके आप स्वयं को भविष्य में दिल की बीमारी की समस्याओं से बच सकते हैं। डॉक्टर की मदद से आप कार्डियक रिहैब्लिटेशन प्रोग्राम को अपना कर अपनी लाइफस्टाइल में बदलाव कर सकते हैं।
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