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रमजान: एक पवित्र माह (Ramzan: A Sacred Month) | रमजान 2024 बारे में विस्तृत जानकारी

रमजान: एक पवित्र माह (Ramzan: A Sacred Month) | रमजान 2024 बारे में विस्तृत जानकारी

रमजान: एक पवित्र माह (Ramzan: A Sacred Month) 

रमजान: एक पवित्र माह (Ramzan: A Sacred Month) | रमजान 2024 बारे में विस्तृत जानकारी


रमजान 2024 (Ramzan 2024)

भारत में रमज़ान 2024 की शुरुआत 11 मार्च, सोमवार से हो रही है। रमज़ान चांद दिखने पर शुरू होता है और उसके अगले दिन से रोज़ा रखा जाता है। इस हिसाब से, भारत में 12 मार्च, 2024 से रमज़ान शुरू हो रहा है। रमज़ान 29 या 30 दिनों तक चलता है, इसलिए रमज़ान 9 अप्रैल के आस-पास खत्म होगा और ईद-उल-फ़ित्र का त्योहार 10 अप्रैल के आस-पास मनाया जाएगा। रमज़ान के दौरान, रोज़ा रखने वाले लोग सिर्फ़ भूखे-प्यासे नहीं रहते, बल्कि आंख, कान, और जीभ का भी रोज़ा रखते हैं, यानी, इस दौरान न बुरा देखें, न बुरा सुनें, और न ही किसी को बुरा कहें। इस्लामिक कैलेंडर चंद्रमा पर आधारित होता है, इसलिए हर साल रमज़ान लगभग 11 दिन पीछे चलता है।


रमजान क्यों मनाया जाता है?

रमजान, इस्लामिक कैलेंडर के नवमे महीने को दरिया करता है और इसे इस्लामिक वर्ष का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है। इस महीने में मुस्लिम रोज़ा (उपवास) रखते हैं, जिसका मतलब है कि वे रोजा रखने वाले दिनों में खाने-पीने और दूसरी शारीरिक आदतों से परहेज़ करते हैं। यह माह इस्लामिक धर्म के सबसे पवित्र महीनों में से एक है और इसमें कुरान का पहला वह आयत नाजिल हुई थी जिससे इसे विशेष महत्वपूर्णता प्राप्त हुई।


रमजान की शुरुआत:

मुस्लिम रोजा, इस्लामी धर्म के महत्वपूर्ण आदतों में से एक है जिसे रमजान महीने में अनुसरण किया जाता है। इसका मूल्य इस्लामिक साहित्य और हदीस से आता है।

रमजान की शुरुआत नए चाँद की पहली रात को होती है और इसे हिलाल या हिलाल-ए-रमजान कहा जाता है। मुस्लिम यहाँ से रोजा रखना शुरू करते हैं और इसे ईद-उल-फितर के रोजों में खत्म करते हैं जिसे शव्वाल का चाँद देखकर मनाया जाता है।

रोजा का आदान-प्रदान कुरान में व्याख्यानित है और इसे मक्का में हुए ईसाई और यहूदी साम्राज्यों से जुड़े हुए घटनाक्रम की याद के लिए भी मनाया जाता है। यहाँ तक कि हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के जीवन के एक घड़ी में उनके द्वारा रमजान का आयोजन किया गया था।


रोजा का उद्देश्य:

रोजा रखने का मुख्य उद्देश्य आत्म-नियंत्रण और ताक़त की प्राप्ति है, साथ ही धार्मिक उन्नति और ताजगी की प्राप्ति होती है। यह सामाजिक और आध्यात्मिक सांगठन में सहयोग करता है और आत्म-नियंत्रण, सहानुभूति, और सद्गुणों की बढ़ती भावना को प्रोत्साहित करता है।


रमजान में मुस्लिम सहरी और इफ्तार के समयों में खाने पीने में परहेज़ करते हैं और धार्मिक गतिविधियों में शामिल होते हैं। सहरी में सुन्नत तरीके से खाने के बाद रोजा रखने के लिए तैयारी करते हैं और इफ्तार में खाना खाने के बाद दुआ करते हैं।


रमजान के अंत में मुस्लिम ईद-उल-फितर मनाते हैं, जिसमें दाने, चाँदी और खाने की चीजें गरीबों को बाँटी जाती हैं। यह एक सामाजिक और भलाई की भावना को बढ़ावा देने वाला महत्वपूर्ण पर्व है।


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